उत्तरकाशी आपदा: आज धराली पहुंचे सीएम धामी, अभी तक 5 शव बरामद

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में मंगलवार 5 अगस्त की दोपहर करीब डेढ़ बजे बादल फटने से खीरगंगा नदी में उफान आ गया। गंगोत्री धाम के रास्ते में स्थित धराली कस्बा देखते ही देखते मलबे में तब्दील हो गया। इस आपदा में अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि प्रशासन द्वारा हुई है, जबकि 19 लोग अब भी लापता हैं। करीब 150 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। हालाँकि लापता लोगों का आंकड़ा अभी और हो सकता है।
आज ( 6 अगस्त, बुधवार को) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद धराली पहुंचे। उन्होंने ग्राउंड ज़ीरो से हालात का जायज़ा लिया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। सीएम धामी ने हर्षिल, मुखबा और आसपास के क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया। इसके बाद वे उत्तरकाशी स्मार्ट कंट्रोल रूम पहुंचे जहां आला अधिकारियों के साथ राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की।
आपदा के बाद गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी के पास लिमच्छा नदी पर बना पुल बह गया, जिससे राहत टीमें धराली तक सीधे नहीं पहुंच पा रहीं। इस कारण रेस्क्यू टीमों को रोप और हेलिकॉप्टर के सहारे ट्रांसमिट करने की योजना बनाई गई है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर, पुलिस और आईटीबीपी की संयुक्त टीमें प्रभावित क्षेत्रों में लगातार काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात कर आपदा की जानकारी ली। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों की स्थिति पर अपडेट लिया और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। सीएम ने उन्हें बताया कि भारी बारिश से राहत कार्यों में कुछ बाधाएं आई हैं, लेकिन सभी एजेंसियां मिलकर तत्परता से काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री से साथ साथ गृहमंत्री अमित शाह ने भी फोन से आपदा की जानकारी ली। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने भी राहत और बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए रखी है। उन्होंने राजभवन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर राहत प्रयासों की जानकारी ली।
राज्य सरकार ने आपात स्थिति को देखते हुए देहरादून में दून अस्पताल, कोरोनेशन व ऋषिकेश में एम्स अस्पतालों में ICU बेड आरक्षित कर दिए हैं। स्वस्थ्य विभाग ने आपदा के चलते डॉक्टरों के टीम को उत्तरकाशी जिले में पहुँचने के लिए कहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए तीन मनोचिकित्सकों को भी धराली भेजा गया है। लिस्ट नीचे देखें –
भारतीय वायुसेना के चिनूक और MI-17 हेलिकॉप्टर तैयार हैं। इनके जरिए न सिर्फ राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, बल्कि भारी मलबा हटाने और क्षतिग्रस्त मार्गों की मरम्मत का कार्य भी किया जा रहा है। बुधवार को दो हेलिकॉप्टरों से आवश्यक खाद्य सामग्री और राहत का सामान धराली भेजा गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तबाही सिर्फ बादल फटने का परिणाम नहीं है। एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल का कहना है कि झिंडा बुग्याल क्षेत्र में वर्षों से जमा ग्लेशियर मलबा संभवतः खिसक गया होगा, जिससे नदी में अचानक भारी बहाव आया। राज्य सरकार ने ISRO से सैटेलाइट इमेज की मांग की है ताकि आपदा के कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सके।
यह धराली की पहली आपदा नहीं है इस से पहले वर्ष 2004, 2012, 2013 और 2018 में इसी तरह के हालात बन चुके हैं। हर बार अस्थायी सुधार किए गए, लेकिन स्थायी समाधान नहीं हुआ। इस बार की तबाही ने फिर चेतावनी दे दी है कि खीरगंगा जैसी हिमालयी नदियों के व्यवहार को समझना बेहद जरूरी है। और इस आपदा का भयावह बनने का सबसे बड़ा कारण लोगों का खीरगंगा नदी के मुहाने पर घर, दुकान और बिल्ड़िंग है, क्योंकि अगर हम इलाके के पुराने मकानों और दुकानों को देखें तो वह नहीं के मुहाने की जगह पहाड़ी में थोड़ा ऊपर बनें हैं, और उनको कोई नुकसान नहीं हुआ है।
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हालाँकि अभी धराली में सेना के जवान देवदूत की तरह मोर्चा संभाले हुए हैं।
सीएम धामी ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता हर पीड़ित तक राहत पहुंचाना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोई भी परिवार मदद से वंचित न रह जाए।
उत्तरकाशी में आपदा को लेकर राहत व बचाव कार्य के लिए हरिद्वार के रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने अपना एक माह वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की घोषणा की है।