वन्यजीव सप्ताह : अधर में लटकी वन विभाग की योजनाएं, शिलान्यास के सालों बाद भी नहीं शुरू हुए कई प्रोजेक्ट

वन्यजीव सप्ताह : अधर में लटकी वन विभाग की योजनाएं, शिलान्यास के सालों बाद भी नहीं शुरू हुए कई प्रोजेक्ट

उत्तराखंड – वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी कई योजनाएं आज भी सिस्टम के जंगल में रास्ता तलाश रही हैं। वर्षों पहले इन योजनाओं का शिलान्यास हुआ, तालियां बजीं, पर काम आज तक शुरू नहीं हो पाया। विभागीय स्तर पर मीटिंग, दिशा-निर्देश और फाइलों की अदला-बदली के बीच योजनाएं कागजों तक सीमित रह गई हैं।

हल्द्वानी में 400 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर के साथ वन्यजीवों के इलाज के लिए अस्पताल और पशु चिकित्सा कर्मियों के आवास की योजना 2016 में बनी थी। शिलान्यास के बावजूद इसका कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका। तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बांगरी ने बताया कि परियोजना की पीपीआर शासन को भेजी गई है, जिसके बाद डीपीआर का गठन होगा।

धराली आपदा के कारण उत्तरकाशी वन प्रभाग की योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। यहां वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए बंदरबाड़ा बनाने की योजना बनी थी, लेकिन मामला अब भी फाइलों में अटका है। इसी तरह राजाजी टाइगर रिजर्व में हाथियों के बच्चों के लिए नियोनेटल केयर सेंटर की घोषणा पिछले वर्ष हुई, पर निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ। निदेशक कोको रोसो के अनुसार प्रस्ताव को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दोबारा तैयार किया जा रहा है।

उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम के निकट बन रहे देश के पहले हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र (एसएलसीसी) का काम भी एक बार फिर से आगे बढ़ा दिया गया है। धराली-हर्षिल क्षेत्र में आई आपदा के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। 4.87 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस केंद्र में कैफेटेरिया भी प्रस्तावित है।

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वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर ये अधूरी योजनाएं वन विभाग की प्राथमिकताओं और सिस्टम की धीमी रफ्तार पर सवाल खड़े करती हैं।

Saurabh Negi

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