उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 23 जनवरी से आंदोलन जारी
देहरादून- राजधानी में मंगलवार को उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों और सदस्यों की ओर से उत्तराचंल प्रेस क्लब में पांच सूत्रीय मांगों को लेकर पत्रकारों के साथ बैठक की। बैठक में मौजूद संघर्ष मोर्चा के सदस्य राकेश शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में ऊर्जा के तीनो निगमों के कार्मिकों द्वारा पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 23 जनवरी से ही आंदोलन जारी है, लेकिन प्रशासनिक तौर पर अब तक कोई कार्रवाहीं नहीं हुई है। ऊर्जा के तीनों निगम प्रबंधक पूरी तरह से निरंकुश हो चुके है। साथ ही मात्र भ्रष्ट्राचार और मनमानी करना करना पदाधिकारियों का काम रह गया है।
उन्होंने कहा कि कार्मिक समस्याओं के निस्तारण की ओर किसी भी पदाधिकारी का ध्यान केंद्रित नहीं हो रहा है। तीन निगमों द्वारा बार-बार कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी कर उनकों आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है। इससे सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर निगम प्रबंधन द्वारा कुछ कतिपय संवर्गो में शासन द्वारा शिथलीकरण नियमावली पर रोक लगाने के बावजूद भी पदोन्नतियां कर दी गई है। वहीं, दूसरी ओर निगम में अन्य संवर्गो के कार्मिकों की पदोन्नतियां जानबूझ कर लंबित रखी जा रही है, जिससे निगम प्रबंधक के चहेतों को प्रभारी व्यवस्था के रूप में बिना किसी नियम के उच्च पदों का लाभ और प्रभार दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि मोर्चा द्वारा लगातार संवाद के द्वारा समस्याओं का हल निकालने के प्रयास किए जाते रहे है, लेकिन निगम प्रबंधन द्वारा लगातार बच्चों के खेलने के पार्क को कार्मिक विरोध के बावजूद कार पार्किग बनाए जाने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही अवकाश वाले दिन संबंधित निर्माण करके कार्मिकों की भावनाओं को भड़का कर आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहा है।
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विद्युत अधिकारी कर्मचारी मोर्चा की पांच सूत्रीय मांगें-
त्रिपक्षीय समझौते का पालन करते हुए एसीपी वेतनमान की पूर्ववर्ती की व्यवस्था पुन: बहाल की जाए, समान कार्य के लिए समान वेतन की मिलना चाहिए, साल 2000 के बाद नियुक्त कार्मिकों को पहले की तरह जीपीएफ आच्छादित पेंशन स्कीम लागू की जाए, सातवें वेतन आयोग के सापेक्ष सभी भत्तों को पुनरीक्षित किया जाए, समस्त रिक्त पदों पर पदोन्नति की जाए, समस्त सर्वर्गो में प्रोन्नतियां की जाए आदि मांगें शामिल है।