व्यासी जल विद्युत परियोजना बनी गोल्डन महाशीर के संरक्षण की उम्मीद की किरण

यूजेवीएनएल की व्यासी जल विद्युत परियोजना अब सिर्फ ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं रही। यह गोल्डन महाशीर मछली के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रही है। फरवरी 2024 से यहां गोल्डन महाशीर की हैचरी स्थापित की गई, जहां अब तक लगभग 9,000 मछलियों का उत्पादन हो चुका है।
इनमें से 3,000 गोल्डन महाशीर मछलियों को व्यासी जलाशय में प्राकृतिक वातावरण में रैंचिंग तकनीक के तहत छोड़ा गया। इस प्रक्रिया में यूजेवीएनएल के महाप्रबंधक इंद्र मोहन करासी और चकराता के वनाधिकारी अभिमन्यु सिंह भी मौजूद रहे।
गोल्डन महाशीर को उत्तराखंड की राज्य मछली का दर्जा प्राप्त है और यह गंगा, यमुना व कोसी जैसी प्रमुख नदियों में पाई जाती है। यह मछली लुप्तप्राय: श्रेणी में आती है, और इसके संरक्षण के लिए यूजेवीएनएल व वन विभाग संयुक्त प्रयास कर रहे हैं।
यूजेवीएनएल के एमडी डॉ. संदीप सिंघल के अनुसार, यह हैचरी भीमताल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तकनीकी मार्गदर्शन में स्थापित की गई है। भविष्य में इन मछलियों को अन्य जल निकायों में भी छोड़ा जाएगा।