वक्फ संशोधन विधेयक को बताया इस्लामी मूल्यों के अनुरूप, डॉ. शालिनी अली ने की पारदर्शिता और महिला नेतृत्व की वकालत

वक्फ संशोधन विधेयक को बताया इस्लामी मूल्यों के अनुरूप, डॉ. शालिनी अली ने की पारदर्शिता और महिला नेतृत्व की वकालत

देहरादून, 1 मई – इस्लामिक विचारक और समाजसेवी डॉ. शालिनी अली ने बुधवार को देहरादून में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर उठ रहे सवालों और विरोध प्रदर्शनों को बेबुनियाद करार दिया। उन्होंने विधेयक को इस्लामी सिद्धांतों और समाजहित में जरूरी बताते हुए इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया।

डॉ. शालिनी ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, पारिवारिक कब्जे और कथित ‘लैंड जिहाद’ पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्षों से वक्फ की पवित्र संस्था भ्रष्टाचार और माफिया नेटवर्क का शिकार रही है। उन्होंने कहा कि नया विधेयक मुस्लिम समाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।

महिलाओं को नेतृत्व में लाना साहसिक फैसला: शालिनी
वक्फ बोर्डों में दो महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी को उन्होंने “समाज सुधार की दिशा में साहसिक और स्वागतयोग्य निर्णय” बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय कुरान, हदीस और शरीयत के अनुरूप है और इससे मुस्लिम महिलाओं को पर्दे के पीछे से बाहर लाकर निर्णय-निर्माण की मुख्यधारा में लाया जाएगा।

हिंदू सदस्य पर आपत्ति को बताया दोगली सोच
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब वक्फ संपत्तियां गैर-मुस्लिम किरायेदारों को दी जा सकती हैं, तो फिर बोर्ड में हिंदू सदस्य की नियुक्ति पर विरोध क्यों? उन्होंने इसे “तंग मानसिकता और राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित” बताया।

‘वक्फ अल औलाद’ के नाम पर संपत्ति कब्जे की निंदा
डॉ. शालिनी ने ‘वक्फ अल औलाद’ की आड़ में वक्फ संपत्तियों को खानदानी जागीर बनाए जाने की प्रवृत्ति पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने इसे इस्लाम के उसूलों और गरीब मुस्लिमों के साथ अन्याय करार दिया।

‘बत्ती गुल’ प्रदर्शन और पाकिस्तान पर निशाना
बीती रात वक्फ कानून के विरोध में की गई ‘बत्ती गुल’ कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. शालिनी ने कहा कि यह विरोध “राजनीतिक स्टंट” है और ऐसे समय में जब देश के सैनिक सीमाओं पर तैनात हैं, आंतरिक अस्थिरता फैलाना देशहित के खिलाफ है। उन्होंने पाकिस्तान की नीतियों की भी तीखी आलोचना की।

राष्ट्र निर्माण में मुस्लिम समाज की भागीदारी पर ज़ोर
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को केवल अधिकारों की नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभाने की जरूरत है। “हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जो शिक्षित, जागरूक और समावेशी हो,” उन्होंने कहा।

डॉ. शालिनी ने इस अभियान को गांव-गांव तक ले जाने की घोषणा की और इसे “सुधार की शुरुआत” बताया, जो मुस्लिम समाज को प्रशासनिक और सामाजिक मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

Saurabh Negi

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