क्या 12 अगस्त को कोरोना वायरस के खिलाफ महीनों से जारी जंग में बड़ी जीत मिलेगी, सभी के जेहन में फिलहाल यही एक सवाल

क्या 12 अगस्त को कोरोना वायरस के खिलाफ महीनों से जारी जंग में बड़ी जीत मिलेगी, सभी के जेहन में फिलहाल यही एक सवाल

दुनियाभर में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच अब कोरोना वैक्सीन पर सबकी निगाहें हैं। वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं। दुनिया के कई देशों में फिलहाल वैक्सीन का मानव ट्रायल चल रहा है। लेकिन इस बीच दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन को लेकर रूस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। क्या अगले दो दिनों यानि 12 अगस्त को दुनिया को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में बड़ी जीत मिलने जा रही है। सभी के जेहन में एक ही सवाल है कि क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई अच्छी खबर आएगी ?

रूस(Russia) ने दावा किया है कि वह 12 अगस्त को कोरोना वायरस की वैक्सीन को रजिस्टर करवाने जा रहा है। बीती 7 अगस्त को रूस के उप स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रूस, 12 अगस्त को अपनी पहली कोरोना वैक्सीन को रजिस्टर करवाएगा। रूस की गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट(Gamalaya Research Institute) और रक्षा मंत्रालय ने साथ मिलकर इस कोरोना वैक्सीन को विकसित किया है।

रूस ने इसके साथ ही दावा किया है कि वह अगले महीने से कोरोना की वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर देगा। रूस के मुताबिक, उनकी वैक्सीन ने मानव ट्रायल के तीसरे चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। रूस की ओर से इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि उनकी कोरोना वैक्सीन जल्द ही बाजार में भी आ सकती है।

रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को(Mikhail Murashko) ने उम्मीद जताई है कि सितंबर महीने के अंत तक वह कोरोना वैक्सीन का प्रोडक्शन भी पूरा कर लेंगे। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि रूस की गामालेया इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वैक्सीन 10 अगस्त तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।

रूस ने इसके साथ ही कहा है कि कोरोना वैक्सीन की विकसित पहली डोज़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी। मॉस्को स्थित गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन का प्रोडक्शन हो जाने के बाद सबसे पहला टीका फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को दी जा सकती है। उन्हें यह टीका प्राथमिकता के आधार पर लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को यह वैक्सीन दिया जाना जरूरी है क्योंकि उन्हें आगे भी संक्रमित लोग के बीच रहना है और उन्हें वैक्सीन भी लगानी है।

रूस के अलावा फिलहाल ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और भारत कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल में जुटे हुए हैं। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। इसके अलावा अमेरिकी का मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन, चीन की दो वैक्सीन पर भी दुनिया की नजरें टिकी हैैं। इसके अलावा भारत में, भारय बायोटेक और जाइडस कैडिला की कोरोनो वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल पर भी दुनिया की निगाहें हैं। खैर, दुनिया को कोरोना से निजात दिलाने के लिए कोई भी वैक्सीन पहले बनाए। उस वैक्सीन से पूरी दुनिया को फायदा होगा।

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