सलूड़ डुंग्रा गांव में आयोजित हुआ विश्व धरोहर रम्माण मेला
उत्तराखंड में चमोली के सलूड़ डुंग्रा गांव में आयोजित विश्व धरोहर रम्माण मेले का आयोजन उत्साह के साथ किया गया। मेले के दौरान मुखौटा नृत्य ने सभी को रोमांचित कर दिया। वहीं, मेले के दौरान रामायण का ढोल दमाऊ की थाप पर 18 ताल में नृत्य के माध्यम से मंचन किया गया। विकासखंड जोशीमठ के सलूड़ डुंग्रा गांव में बैशाख माह में हर साल रम्माण मेला आयोजित किया जाता है। बृहस्पतिवार को यहां धूम-धाम के साथ मनाया मेले का आयोजन हुआ। भूमियाल देवता मंदिर के प्रांगण में आयोजित मेले में राम, लक्ष्मण, सीमा व हनुमान के पात्रों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य करते हुए रामायण का मंचन किया। जिसमें राम जन्म, सीता स्वयंवर, वन प्रस्थान, सीता हरण, हनुमान मिलन, लंका दहन का वर्णन किया गया।
बीच में दर्शकों के मनोरंजन के लिए मुखौटा नृत्य आयोजित किया गया। जिसमें म्वर-म्वरीण, बणियां-गणियांण, ख्यलारी आदि नृत्य किए गए। मेले के दौरान भूमियाल देवता के पाश्वा ने भी नृत्य किया। उसके बाद माल नृत्य किया गया। जिसमें मल्ल योद्धा मुख्य प्रांगण में पहुंचे और ढोल दमाऊ की थाप और ध्वनि गर्जना के साथ युद्ध का प्रदर्शन किया। कुरुजोगी नृत्य के बाद स्वर्ण मृग बध का आयोजन किया गया। अंत में भूमि क्षेत्रपाल देवता पाश्वा पर अवतरित हुए और क्षेत्र में खुशहाली की कामना का सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया।
बता दें कि अपने आप में मुखौटा नृत्य की अनोखी कला रम्माण को विश्व धरोहर घोषित करने के लिए 2008 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने भारत सरकार को सिफरिश भेजी। जिसके आधार पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नामांकन के लिए रम्माण का चयन किया। 2009 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर दिया। सलूड़-डुंग्रा में भूमि क्षेत्रपाल देवता के मंदिर परिसर में एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की ओर से द्विमंजिला मंच का निर्माण कराया गया। 12.46 लाख की लागत से तैयार मंच का बृहस्पतिवार को रम्माण मेले के दौरान परियोजना के महाप्रबंधक मनमीत बेदी ने उद्घाटन किया। इस दौरान अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन राजेश, उप महाप्रबंधक निर्माण डीएस गब्र्याल आदि मौजूद रहे।