अव्यवस्था और अनदेखी: खिलाड़ियों की मेहनत पर पानी फेरता राज्य ओलिंपिक आयोजन

अव्यवस्था और अनदेखी: खिलाड़ियों की मेहनत पर पानी फेरता राज्य ओलिंपिक आयोजन

राज्य ओलिंपिक खेलों में रविवार को कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान जो हुआ, वह सरकारी व्यवस्थाओं की बदहाली और खिलाड़ियों के प्रति लापरवाही का एक गंभीर उदाहरण है। बिना पूर्व सूचना के कुश्ती का आयोजन स्थल पुलिस लाइन से स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थानांतरित कर दिया गया। इससे खिलाड़ियों को केवल असुविधा का सामना करना पड़ा, बल्कि उनके समय और मानसिक तैयारी पर भी बुरा प्रभाव पड़ा।

जब खिलाड़ी पुलिस लाइन पहुंचे, तो उन्हें खाली मैदान मिला। इसके बाद खिलाड़ियों को खुद से यह जानकारी जुटानी पड़ी कि आयोजन स्थल बदल दिया गया है। इससे ना सिर्फ आयोजन समिति की लापरवाही उजागर होती है, बल्कि यह भी सवाल उठता है कि खिलाड़ियों को ऐसी बुनियादी जानकारी समय पर क्यों नहीं दी गई।

स्पोर्ट्स स्टेडियम में भी हालात बदतर थे। आवश्यक उपकरणों और गद्दों की व्यवस्था तक नहीं की गई थी। खिलाड़ियों को खुद अपनी मेहनत से गद्दे लाकर खेल स्थल तैयार करना पड़ा। क्या यह खिलाड़ियों के सम्मान और उनकी मेहनत का मजाक उड़ाने जैसा नहीं है? क्या सरकारी तंत्र को खिलाड़ियों की जरूरतों का सम्मान करने का जिम्मा नहीं लेना चाहिए?

यह पहली बार नहीं है कि राज्य ओलिंपिक खेलों में अव्यवस्था देखने को मिली हो। इससे पहले भी फुटबॉल और तीरंदाजी के आयोजन स्थलों में बदलाव किया गया, और अब फेंसिंग के लिए भी यही स्थिति नजर आ रही है। लगातार हो रही ये अनियमितताएं राज्य के खेल तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती हैं।

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आखिरकार, खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और समर्पण से खेल शुरू कराया, लेकिन यह सवाल छोड़ गए कि क्या भविष्य में भी खेलों में ऐसी अनदेखी जारी रहेगी। अगर सरकार और आयोजन समितियां खेलों को लेकर इतनी ही लापरवाह हैं, तो फिर इन आयोजनों का क्या औचित्य रह जाता है?

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