योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में डॉ. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र स्मारक के निर्माण का किया ऐलान

योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में डॉ. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र स्मारक के निर्माण का किया ऐलान

लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद गंभीर है और पार्टी किसी भी बड़े वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने से चूक नहीं रही है। चुनावी वर्ष में भाजपा लखनऊ में करीब 50 करोड़ की लागत से डॉ. भीमराव आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करने जा रही है। इस केंद्र में डॉ. आंबेडकर की करीब 25 फुट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।

भाजपा ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दलितों को लुभाने के लिए लखनऊ में डॉ. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र स्मारक के निर्माण का ऐलान किया है। इस स्मारक में डॉक्टर आम्बेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा होगी जबकि उनसे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण संकलनों को इसमें स्थान दिया जाएगा। इसमें कन्वेंंशन सेंटर, पुस्तकालय और अन्य दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जानी हैं। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह के सामने खाली पड़ी मौजा भदेवा की 5493.52 वर्ग मीटर नजूल भूमि को डा. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए संस्कृति विभाग के पक्ष में कुछ शर्तों व प्रतिबंधों के तहत निश्शुल्क आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह भूमि सरकार के स्वामित्व में है। सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना पर 45.04 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

संस्कृति विभाग की ओर से स्थापित होने वाले डा.आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र में 750 व्यक्ति की क्षमता का प्रेक्षागृह, पुस्तकालय व शोध केंद्र, छायाचित्र दीर्घा व संग्रहालय, बैठकों व आख्यान के लिए बहूद्देशीय सभागार व कार्यालय का निर्माण किया जाएगा। डा.भीमराव आंबेडकर की मूॢत की स्थापना व लैंडस्केपिंग, डॉरमेट्री, कैफेटेरिया, शौचालय, पाॄकग व अन्य जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। संस्कृति विभाग ने डा. आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए लखनऊ में दो से तीन एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।

लखनऊ के लोक भवन में 29 को आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्मारक का शिलान्यास भी कर देंगे। इस केंद्र को भाजपा का मायावती की तर्ज पर दलितों को लुभाने का एक कदम माना जा रहा है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने कार्यकाल में आम्बेडकर पार्क जैसे कई भव्य स्मारक लखनऊ से लेकर नोएडा तक बनवाए जो आज भी दलितों के सबसे बड़े स्मारक और प्रतीक चिह्न के तौर पर जाने जाते हैं। मायावती की ओर से स्मारक निर्माण की आलोचक रही बीजेपी भी दलित वोट बैंक में सेंधमारी के लिए अब कुछ उसी राह पर चलती नजर आ रही है।

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