ईपीआर प्लान जमा कराने वाले उद्योगों को दी जाएगी राहत

ईपीआर प्लान जमा कराने वाले उद्योगों को दी जाएगी राहत

प्लास्टिक उत्पाद से जुड़े 1724 उद्योगों की एनओसी निरस्त होने के बाद उद्योग जगत में मचे बवाल के बाद राहत भरी खबर भी सामने आई है। इस बीच जिन उद्योगों ने पंजीकरण के साथ ही ईपीआर प्लान (विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व) जमा कर दिया गया है, उन्हें राहत दी जाएगी। जिन्होंने ऐसा नहीं किया है और उद्योग चलते हुए मिले उनके विरुद्घ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक ने बताया कि इस संबंध में रिजनल ऑफिसर्स को भी उद्योगों का फिल्ड सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं। कितनी कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने पंजीकरण कराया है और कितनी ऐसी हैं, जो बिना पंजीकरण के चल रही हैं। सोमवार को चारों क्षेत्रीय कार्यालयों (दून, हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार) के अधिकारी जिलों में प्लास्टिक उद्योग से जुड़ी कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

इस दौरान उन्हें रजिस्ट्रेशन और ईपीआर के संबंध में जागरूक भी किया जाएगा। पटनायक ने बताया कि यह भी बात सामने आई है कि इसके बारे में कुछ कंपनियों को जानकारी ही नहीं है। इसलिए हमारी कोशिश भी यही है कि पीसीबी की ओर से अधिक से अधिक उद्योगों के प्रतिनिधियों को जागरूक करते हुए उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया जाए कि वह पंजीकरण के साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साइट पर जाकर औपचारिकताओं को पूरा कर लें।

उन्होंने कहा कि उत्पादन बंद करने का नोटिस रिसीव करने के बाद भी यदि कहीं कोई उद्योग चलता पाया गया तो उसके खिलाफ क्षेत्रीय अधिकारियों की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी तक 150 कंपनियों की ओर से ईपीआर प्लान जमा करा दिया गया है। कुछ कंपनियों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। कुल कितने ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन आए हैं, सोमवार तक स्पष्ट हो जाएगा।

हो सकती है जुर्माने और मुकदमे की कार्रवाई 
एनओसी रद्द होने के बाद भी तमाम उद्योगों की ओर से उत्पादन का काम जारी है। ऐसी दशा में पीसीबी की ओर से जुर्माने और मुकदमे दर्ज किए जा सकते है। इस मामले में 20 दिसंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में पीसीबी को भी कार्रवाई के बारे में जवाब देना है। माना जा रहा है कि इस बीच पीसीबी कुछ उद्योगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है। उधर, प्रभावित उद्योग और औद्योगिक संघों की ओर से एनओसी रद्द करने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

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