प्रदेश का चौथा रेशम दून सिल्क आउटलेट शुरू, उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को भ्रमण पर भेजेगी सरकार

प्रदेश का चौथा रेशम दून सिल्क आउटलेट शुरू, उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को भ्रमण पर भेजेगी सरकार

                                                                                                     

रेशम के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच किसानों का चयन कर उन्हें पांच राज्यों कर्नाटक, उड़ीसा, केरल, महाराष्ट्र और असम के अध्ययन भ्रमण पर भेजा जाएगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मौजूदा वक्त मार्केटिंग और ब्रांडिंग का है।

 

 

प्रेमनगर स्थित सिल्क पार्क में रेशम फेडरेशन की ओर से संचालित दून सिल्क रेशम के चौथे आउटलेट की शुरुआत कृषि मंत्री गणेश जोशी और सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की। बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आज रेशम फेडरेशन की ओर से छह से सात हजार किसानों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार से जोड़ा गया है।

भविष्य में रेशम फेडरेशन के माध्यम से 25 हजार किसानों को जोड़ा जाएगा। रेशम के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच किसानों का चयन कर उन्हें पांच राज्यों कर्नाटक, उड़ीसा, केरल, महाराष्ट्र और असम के अध्ययन भ्रमण पर भेजा जाएगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मौजूदा वक्त मार्केटिंग और ब्रांडिंग का है।

यदि आप अच्छी मार्केटिंग और ब्रांडिंग करते हैं तो आपका उत्पाद भी अधिक लोगों तक पहुंचता है। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि फेडरेशन की ओर से जितने भी आउटलेट खोले जा रहे हैं, उनके लिए अच्छी जगह का चयन किया जाए। 

दून सिल्क  उत्तराखंड का ब्रांड बनेगा
रेशम फेडरेशन अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने बताया कि शीघ्र ही छह नए आउटलेट और खोले जाएंगे। प्रबंध निदेशक आनंद एडी शुक्ल ने कहा कि दून सिल्क भविष्य में सिल्क के क्षेत्र में उत्तराखंड का ब्रांड बनेगा। साथ ही यहां बने रेशम उत्पादों को देशभर में पहुंचाया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक कैंट सविता कपूर ने की। इस अवसर पर विधायक सल्ट महेश जीना, निबंधक सहकारिता आलोक पांडे, उपाध्यक्ष रेशम फेडरेशन विक्रम सिंह बिष्ट, धर्मवीर सिंह तोमर, सुनील कुमार आदि उपस्थित थे।

57 करोड़ के घाटे में चल रहा रेशम फेडरेशन एक करोड़ के मुनाफे में आया
सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व को-ऑपरेटिव बैंक 57 करोड़ के घाटे में थे और सहकारी समितियां 300 करोड़ के घाटे में चल रही थीं, लेकिन बीते पांच वर्षों में कॉपरेटिव बैंक 156 करोड़ के मुनाफे में आ चुके हैं। उत्तराखंड की 670 एमपैक्स में से 90 फीसदी समितियां वर्तमान में लाभ में चल रही हैं। घाटे में चल रहा रेशम फेडरेशन भी वर्तमान में एक करोड़ के मुनाफे में है।

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