पुलिस ने गिरफ्तार तीनों आरोपितों से पूछताछ की। इन तीनों ने अपने रैकेट का खुलासा किया, जिसके आधार पर अन्य आरोपितों को भी चिन्हित कर लिया गया है। बाकी आरोपित फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास चल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य आरोपित अब्दुल रज़्ज़ाक कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) का संचालक था। वह मुस्लिमों के पैसे म्युचुअल फंड में लगाकर उन्हें फायदा देने का वादा किया करता था।
रज़्ज़ाक साल 1998 से मुस्लिम फंड चला रहा था। उसके कबीर म्यूूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड को साल 2020 में कारपोरेट विभाग से मान्यता भी मिल गई थी। आरोपित के मुस्लिम फंड में 13,382 खाते चल रहे थे। इन एकाउंट में 8716 खाते ऐसे भी थे, जिसमें 500 से कम रुपए जमा थे। कुल मिलाकर रज़्ज़ाक के मुस्लिम फंड में लगभग 7.5 करोड़ रुपए जमा थे। इसके अलावा कुछ लोगों का सोना गिरवी रख कर रज़्ज़ाक ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए 12% सालाना ब्याज पर बाँट रखा था। पुलिस का यह भी कहना था कि उसके फंड में लोग बिना ब्याज़ लिए पैसे जमा करते थे। गौरतलब है कि इस्लामी जानकार ब्याज पर पैसे लेना या देना हराम मानते हैं।
आरोप है कि रज़्ज़ाक ने साल 2013 में मुस्लिम फंड से हुई कमाई से अपने साथियों नज़्म और मशरूर के साथ मिलकर हरिद्वार में प्रॉपर्टी खरीदी। वह मुस्लिम फंड के अलावा प्रॉपर्टी डिलिंग भी कर रहा था। इस बीच रज़्ज़ाक के साथियों नसीम और मशरूर को उसके मुस्लिम फंड में अच्छे खासे पैसे होने की भनक लग गई।
इन दोनों ने साल 2020 में रज़्ज़ाक को संभल जिले के अंसार से मिलवाया। अंसार ने अपने एक साथी साजिद के मुंबई में होने की जानकारी दी। अंसार ने रज़्ज़ाक को बताया कि साजिद का एक साथी लंदन में रहता है, जो 100 करोड़ रुपए के काले धन को किसी रजिस्टर्ड संस्था को डोनेट कर के उसे सफ़ेद करना चाहता है।
अंसार ने रज़्ज़ाक को झाँसा देते हुए यह भी कहा कि वह लंदन का पैसा मुस्लिम फंड वाले खाते में मंगवा ले, जिसकी एवज में उसे 20 करोड़ रुपए मिलेंगे और 80 करोड़ रुपए वापस करने होंगे। अंसार ने रज़्ज़ाक को मिलने वाले 20 करोड़ रुपए से थोड़ा पैसा दिखाने के लिए सामाजिक कार्यों में लगाने और बचा पैसा आपस में बाँट लेने की जानकारी दी। अंसार ने लंदन के काले धन के अलावा रज़्ज़ाक को 1 हजार करोड़ रुपए की पुरानी नोट बदलवाने का भी काम देने का झाँसा दिया।
रज़्ज़ाक पूरी तरह से अंसार के झाँसे में आ गया। उसने लंदन का काला धन मंगवाने की एवज में 3.5 करोड़ रुपए व पुराने नोट बदलने के नाम पर 2 करोड़ रुपए कमीशन एडवांस के तौर पर अंसार को दे दिए। पैसे जुटाने के लिए रज़्ज़ाक ने 4 करोड़ रुपए की खरीदी जमीन को महज 2 करोड़ रूपयों में बेच दिया। 5 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा पाकर साजिद का फोन बंद हो गया। इधर अंसार लगातार रज़्ज़ाक को झाँसा देता रहा और गाजियाबाद ले जाकर उस से लोनी की एक जमीन उसके नाम करने के नाम पर 2 करोड़ रुपए और माँगे। आख़िरकार तब जाकर रज़्ज़ाक को अपने साथ हुई धोखाधड़ी का एहसास हुआ।
वहीं दूसरी तरफ उसके मुस्लिम फंड के खाताधारक अपने पैसे की माँग करने लगे। रज़्ज़ाक ने उन्हें बहुत दिनों तक टालने और इधर-उधर भटकाने की कोशिश की। आखिरकार वसीम राव नाम के एक खाताधारक ने पुलिस ने रज़्ज़ाक की शिकायत कर दी। उत्तराखंड पुलिस के 15 जवानों ने 6 टीमें बना कर इस मामले का पर्दाफाश किया। बाकी रज़्ज़ाक, नसीम, मशरूर की गिरफ्तारी के साथ बाकी आरोपितों की तलाश की जा रही है।