उत्तराखंड में 300 शिक्षकों ने पेश की मिशाल, पढ़ाने के लिए भाया दुर्गम, छोड़ा सुगम
उत्तराखंड के हजारों शिक्षक जहां सुगम क्षेत्र के स्कूलों में तबादले के लिए विभाग के बड़े अधिकारियों से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री तक के चक्कर लगाते रहे हैं। वहीं राज्य में 300 से अधिक ऐसे शिक्षक हैं, जो पिछले 23 या इससे भी अधिक वर्षों से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें सुगम के बजाए दुर्गम क्षेत्र के स्कूल भा रहे हैं। चमोली जिले के प्राथमिक विद्यालय स्यूणी मल्ली के प्रधानाध्यापक घनश्याम ढौंढियाल पिछले 23 साल से दुर्गम स्कूल में हैं। शिक्षक के मुताबिक उनके स्कूल में वर्तमान में 38 बच्चे हैं। जो पहाड़ में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में रह रहे हैं। उन्हें यह डर रहता है कि यदि उनका तबादला सुगम क्षेत्र के स्कूल में हो जाएगा तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा? प्रधानाध्यापक के मुताबिक उन्हें दो बार सहायक अध्यापक एलटी के पद पर पदोन्नति का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने पदोन्नति छोड़ दी, इससे क्षेत्र में लोगों का उनके प्रति विश्वास जगा है।
वहीं देहरादून रायपुर ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल अखण्डवाली भिलंग के सहायक अध्यापक सतीश घिल्डियाल विभाग में नियुक्ति के बाद से ही दुर्गम स्कूल में हैं। उनका कहना है आठ जनवरी 1996 को उनकी पहली नियुक्ति पौड़ी जिले के दुर्गम प्राथमिक विद्यालय स्यालखमखाल ब्लॉक नैनीडांडा में हुई। जबकि वर्तमान में वर्ष 2005 से वह जूनियर हाईस्कूल अखण्डवाली भिलंग में हैं। वह दुर्गम क्षेत्र के स्कूल से ही अपनी सेवानिवृत्ति चाहते हैं।