72 साल बाद स्वप्निल कुसाले ने रचा इतिहास, पेरिस ओलंपिक में कांस्य पर साधा निशाना

72 साल बाद स्वप्निल कुसाले ने रचा इतिहास, पेरिस ओलंपिक में कांस्य पर साधा निशाना

पेरिस ओलंपिक के 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में कांस्य पदक जीतकर स्वप्निल कुसाले ने पूरे महाराष्ट्र को गर्व से भर दिया है। स्वप्निल की इस उपलब्धि ने 72 वर्षों बाद महाराष्ट्र को व्यक्तिगत रूप से ओलंपिक में पदक दिलाया है। इससे पहले, 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में सातारा के खाशाबा जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वप्निल कुसाले को उनकी सफलता पर बधाई दी और एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने स्वप्निल के परिवार से फोन पर बात कर उनकी इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की सराहना की।

स्वप्निल कुसाले पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कंबलवाड़ी गांव के मूल निवासी हैं। उनका जन्म 6 अगस्त, 1995 को पुणे में हुआ था। स्वप्निल के पिता और बड़े भाई किसान और अध्यापक हैं। 28 वर्षीय स्वप्निल ने 2009 में महाराष्ट्र सरकार के खेल विकास कार्यक्रम क्रीड़ा प्रबोधिनी से अपनी खेल यात्रा शुरू की थी।

स्वप्निल ने 2022 में मिस्र के काहिरा में विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल कर ओलंपिक कोटा प्राप्त किया था। इसके बाद से लेकर 2024 में हुए ट्रायल तक उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। उनकी सबसे बड़ी चुनौती एक पुरानी टॉन्सिल समस्या थी, जिससे उन्हें अत्यधिक दर्द, बुखार और कमजोरी का सामना करना पड़ता था।

स्वप्निल भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बड़े प्रशंसक हैं और उनके सफर से प्रेरित हैं। उन्होंने 2015 में भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर के रूप में नौकरी शुरू की थी और वर्तमान में मध्य रेलवे में कार्यरत हैं।

स्वप्निल के कांस्य पदक जीतने के बाद उनके गांव में जश्न का माहौल है। गांव के स्कूल में बच्चों ने बड़ी स्क्रीन पर उनकी प्रतियोगिता देखी और जीत के बाद तिरंगा झंडा लेकर जुलूस निकाला। स्वप्निल के माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे का संघर्ष अब सार्थक हो गया है।

स्वप्निल की यह उपलब्धि ना सिर्फ उनके परिवार और गांव के लिए, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। उनका यह पदक आने वाले समय में और भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा।

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