डेनाली पर्वत पर लहराया तिरंगा सेटेलाइट फोन के माध्यम से अपर्णा कुमार ने अपनी सफलता का संदेश परिवार को भेजा है।

डेनाली पर्वत पर लहराया तिरंगा सेटेलाइट फोन के माध्यम से अपर्णा कुमार ने अपनी सफलता का संदेश परिवार को भेजा है।

आइटीबीपी में डीआइजी के पद पर तैनात यूपी कैडर की आइपीएस अपर्णा कुमार ने अलास्का के डेनाली पर्वत पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा है।

देहरादून,भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के सीमाद्वार परिसर में उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात यूपी कैडर की आइपीएस 44 वर्षीय अपर्णा कुमार के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ गया है। उन्होंने अलास्का के डेनाली पर्वत पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा है। अपर्णा देश की पहली महिला आइपीएस हैं, जिन्होंने सेवन समिट यानी विश्व के सात उच्च शिखरों का आरोहण किया है। दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहराने वाली भी वह पहली महिला वर्दीधारी हैं।

डेनाली पर्वत पर चढ़ाई के लिए अपर्णा ने 15 जून को भारत छोड़ा था और उनकी तैयारी 10 जुलाई के आसपास इस पर्वत पर चढ़ने की थी, लेकिन मौसम साफ मिला और अपने बुलंद हौसलों के बूते अपर्णा ने दस दिन पहले ही सफलता हासिल कर ली। बता दें, जिस वक्त वह चढ़ाई कर रहीं थीं, उस समय तापमान माइनस 40 डिग्री के आसपास था और 250 किलोमीटर की रफ्तार से बर्फीली हवाएं शरीर को भेद रही थीं। डेनाली पर्वत की समुद्र तल से ऊंचाई 20320 फीट है। अपर्णा का यह तीसरा प्रयास था। इससे पहले 2017 व 2018 में खराब मौसम के कारण उन्हें लौटना पड़ा था।

फिलहाल अपर्णा अलास्का में ही हैं। उनके पति यूपी के वरिष्ठ आइएएस संजय कुमार का कहना है कि उन्हें वापस आने में तकरीबन एक हफ्ते का वक्त और लग जाएगा। अभी तक उनसे परिवार की बात नहीं हुई है, सेटेलाइट फोन के माध्यम से अपर्णा कुमार ने अपनी सफलता का संदेश परिवार को भेजा है। अपर्णा का अगला लक्ष्य 2020 में उत्तरी ध्रुव पर तिरंगा फहराकर द एक्सप्लोर्स ग्रैंड स्लैम के एक्सक्लूसिव क्लब में प्रवेश करने का है। ऐसा करने वाली वह पहली सिविल सवेर्ंट या आइपीएस अधिकारी होंगी।

संघषों ने दिया बढ़ते रहने का हौसला

बंगलुरु निवासी अपर्णा ने जिंदगी में तमाम-उतार चढ़ाव देखे हैं। बालपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था, ऐसे में घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां के कंधों पर आ गई। बताती हैं कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी रहीं मां अश्विनी ने उनकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिंदगी के तमाम संघषों ने अपर्णा को मजबूती के साथ आगे बढ़ना सिखाया। वह नेशनल लॉ स्कूल बंगलुरु से लॉ ग्रेजुएट हैं।

हिमशिखरों की दास्तां सुनकर बदला जिंदगी का रुख

अपर्णा 2012 में 9वीं बटालियन पीएसी मुरादाबाद में कमान्डेंट थीं। आइटीबीपी से पहले यही बटालियन चीन सीमा की निगहबानी करती थी। ऊंचे हिमशिखरों से जुड़ा इसका एक स्वर्णिम इतिहास है। उन्हें भी इस बारे में कई साहसिक किस्से-कहानियां सुनने को मिलीं। बर्फ से लकदक पहाड़ियों के बीच अपने अनुभव लोग बताया करते थे। यहां पर्वतारोहण के उपकरण, विभिन्न अभियानों से जुड़े किस्से-कहानियां व हिमशिखरों की दास्तान सुनकर जिंदगी का रुख बदल गया। उनकी जिज्ञासा बढ़ती गई। वह खेलों में अच्छी थीं, सो सोचा क्यों न पर्वतारोहण में भी प्रयास किया जाए। एक बार कदम बढ़ाए तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

यहां फहराया तिरंगा

अपर्णा कुमार ने जिन शिखर पर झंडा फहराया है, उनमें माउंट एवरेस्ट (एशिया), माउंट किलिमंजारों (तंजानिया, अफ्रीका), माउंट एल्ब्रस (यूरोप), कार्सटेंस पिरामिड (इंडोनेशिया), विन्सन मैसिफ (अंटार्कटिका), माउंट एकांकागुआ (दक्षिणी अमेरिका), माउंट डेनाली (अलास्का) शामिल हैं। वह दक्षिणी ध्रुव पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं। देहरादून में आइटीबीपी में बतौर डीआइजी तैनात हैं अपर्णा कुमार परिजनों को सेटेलाइट फोन के माध्यम से जानकारी दी ।

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