उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए बनेगी अथॉरिटी

उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए बनेगी अथॉरिटी

केंद्र सरकार लगातार ही नदियों व जल स्रोतों के संरक्षण पर जोर दे रही है, इस कड़ी में उत्तराखंड में भी कसरत तेज की गई है। नदियों व जलस्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए राज्य में जलागम प्रबंधन के तहत एक अथॉरिटी बनाई जा रही है। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और कैबिनेट की मुहर के बाद यह आकार लेगी। अथॉरिटी बनने पर जल संरक्षण से जुड़े सभी विभाग एक छतरी के नीचे कार्य करेंगे। प्रदेश की स्रोत आधारित नदियों के उद्गम से लेकर राज्य की सीमा तक के क्षेत्र में स्थित जलसमेट क्षेत्रों में चेक डैम, खाल-चाल जैसे उपायों से वर्षा जल संरक्षण किया जाएगा। ऐसे ही समन्वित प्रयास नौले, धारे जैसे जलस्रोतों के संरक्षण को भी किए जाएंगे। उत्तराखंड में प्रति वर्ष 1529 मिलीमीटर वर्षा होती है, जिसमें अकेले मानसून का योगदान 1221 मिलीमीटर का है।

रिवर एंड स्प्रिंग रिजुविनेशन अथॉरिटी बनाने पर है जोर

हर साल ही वर्षा का यह पानी यूं ही जाया जाता होता है। यद्यपि, राज्य में वर्षा जल संरक्षण के लिए वन, पेयजल, सिंचाई, जलागम प्रबंधन समेत अन्य विभाग प्रयास तो लंबे अर्से से कर रहे हैं, लेकिन इनके सार्थक परिणाम का इंतजार है। असल में ये प्रयास छितरे-छितरे तौर पर हो रहे हैं। अब बदली परिस्थितियों में इन्हें संगठित रूप से करने का निश्चय किया गया है। इसके लिए राज्य में रिवर एंड स्प्रिंग रिजुविनेशन अथॉरिटी बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। लंबे मंथन के बाद अब तय किया गया है कि जलागम प्रबंधन के अंतर्गत यह अथॉरिटी गठित होगी।

की जाएगी नदियों की मैपिंग

सूत्र बताते हैं कि इन दिनों तैयार हो रहे इसके प्रस्ताव में राज्यभर में सभी नौले-धारों (स्प्रिंग) के साथ ही स्प्रिंग आधारित नदियों की मैपिंग की जाएगी। फिर नदियों के जलसमेट क्षेत्रों के अलावा स्प्रिंग को वर्षा जल संरक्षण के उपायों से रिचार्ज करने को समन्वित प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए चेक डैम, खाल-चाल व खन्ती (छोटे-बड़े तालाबनुमा गड्ढे), वर्षा जल संरक्षण में सहायक पौधों का रोपण जैसे कार्य होंगे। गाड-गदेरों (नदियों) पर भी चेकडैम बनेंगे। इनमें जमा पानी का उपयोग पेयजल व कृषि कार्यों में भी लाया जाएगा।

अधिकारी ने कही ये बात

रिवर एंड स्प्रिंग रिजुविनेशन अथॉरिटी बनाने के दृष्टिगत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। साथ ही इसके माध्यम से होने वाले कार्यों की विस्तृत कार्य योजना बनाई जा रही है। यह कसरत जल्द से जल्द पूरी कर इसका प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। -आनंद वर्धन, अपर मुख्य सचिव।

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