नई दिल्‍ली,Chandrayaan-2 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसरो ने कहा है कि 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में स्‍थापित किया गया था। अब इसे सफलतापूर्वक पृथ्‍वी की दूसरी अगली कक्षा में दाखिल करा दिया गया है। वैज्ञानिकों ने प्रोपल्‍शन सिस्‍टम के जरिए 883 सेकेंड की फायरिंग करके यह सफलता 26 जुलाई को पाई।

इसरो (Indian Space Research Organization) ने ट्वीट कर बताया कि स्‍पेसक्रॉफ्ट की सभी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। अब चंद्रयान-2 की ऑर्बिट 251×54,829 किलोमीटर कर दी गई है। इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 को 29 जुलाई को तीसरी अगली कक्षा में धकेलेंगे। धीरे-धीरे यह धरती की कक्षाओं को पार करते हुए चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 20 अगस्‍त को यह चंद्रमा पर लैंड करेगा।

वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्‍होंने महज 57 सेकेंड की ऑनबोर्ड फायरिंग के जरिए चंद्रयान-2 धरती की पहली कक्षा में स्‍थापित करा दिया था। चंद्रयान-2 तीन खंडों से बना हुआ है। पहला ऑर्बिटर जिसमें 2,379 किलो वजनी पेलोड हैं। दूसरे खंड लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है जिसमें 1,471 किलो वजनी पेलोड हैं। रोवर प्रज्ञान में 27 किलो वजनी दो पेलोड लगे हुए हैं। विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

इसरो के मुताबिक चांद पर ले जाने के लिए चंद्रयान-2 को चार ऑर्बिटल एलिवेशन से गुजारा जाएगा। इस प्रक्रिया में इसरो के वैज्ञानिक हर बार यान को अगली कक्षा में स्थापित करेंगे। यह प्रक्रिया छह अगस्‍त तक चलेगी यानी चंद्रयान-2 छह अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। 14 अगस्त को इसे चांद की कक्षा की ओर धकेल दिया जाएगा। इसके बाद 20 अगस्‍त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाएगा। इसरो वैज्ञानिकों की मानें तो लैंडर विक्रम सात सितंबर को चंद्रमा की सतर पर लैंड कर जाएगा।

बता दें कि 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था। यह ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय इसी अभियान को जाता है। चंद्रयान-2 इसी खोज को आगे बढ़ाते हुए वहां पानी और अन्य खनिजों के प्रमाण जुटाएगा। चंद्रयान-2 इसलिए भी खास है, क्योंकि इसके लैंडर-रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव के जिस हिस्से पर उतरेंगे, अब तक वहां किसी देश का यान नहीं उतरा है।