आराम से प्लान बनाकर आएं चारधाम यात्रा में, नवंबर तक चलेगी यात्रा

आराम से प्लान बनाकर आएं चारधाम यात्रा में, नवंबर तक चलेगी यात्रा

उत्तराखंड में 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा पर बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं के आने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो गई हैं। चारधाम यात्रा नवंबर माह तक संचालित होनी है, लेकिन श्रद्धालुओं में जल्द यात्रा करने की होड़ के कारण उन्हें दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण चारधाम यात्रा की व्यवस्था से जुड़े लोगों को अपील करनी पड़ रही है कि यह यात्रा कुछ दिनों के लिए नहीं है बल्कि नवंबर तक संचालित होगी। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष का कहना है कि राज्य में चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इस कारण इन धामों की एक धारण क्षमता और भौगोलिक कठिनाइयां हैं। यात्री पंजीकरण की उपलब्धता को देखते हुए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं। जिससे केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में सुगमता से दर्शन हो सकें। अन्यथा दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं।अक्षय तृतीय के दिन 10 मई को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई। जबकि 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद यात्रा पूर्ण रूप से संचालित हुई। पांच दिन की यात्रा में चारधामों में दो लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। जबकि यात्रा पर आने के लिए पंजीकरण का आंकड़ा 27 लाख पहुंच गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चारधाम यात्रा को लेकर तीर्थ यात्रियों में किस तरह की होड़ लगी है।

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तय है पंजीकरण सीमा

प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण के लिए केदारनाथ धाम में 18 हजार, बदरीनाथ में 20 हजार, गंगोत्री में 11 हजार और यमुनोत्री धाम में नौ हजार श्रद्धालुओं की सीमा तय की है। लेकिन धामों में इससे काफी अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

केदारनाथ और बदरीनाथ में चल रहा काम

आने वाले समय में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के लिए केदारनाथ धाम में दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य हो रहे हैं। वहीं, बदरीनाथ धाम को आध्यात्मिक पर्वतीय शहर के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान का काम चल रहा है। ऐसे में दोनों धामों में ठहरने की सीमित व्यवस्था है। तीर्थयात्री ठहरने की व्यवस्था होने के बाद ही यात्रा करें।

चारधाम यात्रा को लेकर देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्री जल्दबाजी न करें। चारधाम यात्रा नवंबर माह तक चलेगी। पंजीकरण की उपलब्धता के अनुसार यात्रा पर आएं, जिससे सुगमता से दर्शन हो सके। तीर्थ यात्रियों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थापित धामों में सीमित संसाधन के साथ मौसम की चुनौतियां भी हैं। क्षमता से अधिक तीर्थ यात्री पहुंचने पर परेशानी उठानी पड़ सकती है।
– अजेंद्र अजय, अध्यक्ष, श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति

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