क्लीनिकल स्टेब्लिस्मेट एक्ट –रेवती नरसिंग होम होगा बन्द, आराघर दारू ठेका चलता रहेगा

क्लीनिकल स्टेब्लिस्मेट एक्ट –रेवती नरसिंग होम होगा बन्द, आराघर दारू ठेका चलता रहेगा

देहरादून –क्लीनिकल स्टेब्लिस्मेट एक्ट के नाम पर धर्मपुर, देहरादून के रेवती नरसिंह होम व बी एस नेगी अस्पताल आराघर चोक को सीलिंग नोटिस से बंद करने के आदेश जारी हुए हैं।

देहरादून के 60 और निजी अस्पतालों को बंद करने के सीलिंग नोटिस जारी होने वाले हैं। नए क्लीनिकल स्टेब्लिस्मेट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार 9 मीटर रोड, पार्किंग आदि अस्पतालों में आवश्यक कर दिए गए हैं।

वहीं प्रीतम रोड, डालनवाला, देहरादून स्थित सरकारी “गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय मात्र 6 मीटर रोड पर है, परन्तु इस हॉस्पिटल के लिए कोई सीलिंग नोटिस जारी न कर एक समान कानून का सरकार खुल्लम खुल्ला उलंघन कर रही है।

जबकि उत्तराखण्ड की बीजेपी की डबल इंजन त्रिवेंद्र सरकार ने शराब के ठेके खुले रहें इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गच्चा देने के लिए रातों-रात राज्य मार्गों को जिला मार्ग घोषित कर दिया था। ताकि राज्य मार्ग पर शराब के ठेके बन्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शराब की दुकानों को राहत मिल सके।

वहीं आराघर, बिंदाल चौक व अन्यत्र शराब के ठेकों पर शाम होते ही जो भीड़ लग जाती है उससे जो ट्रैफिक जाम होता है, उस जाम से सभी लोग रोज दो-चार होते हैं।

वहीं उत्तराखण्ड जैसे पहाड़ी राज्य जिसकी 70% भूमि में वन क्षेत्र हैं और पहाड़ पर सीढ़ीनुमा खेत व जगह हैं वहां इस प्रकार का एक्ट कैसे प्रभावी हो सकेगा। सवाल बड़ा है कि पहाड़ पर 9 मीटर मार्ग कहाँ से आएगा।

आखिर सरकार स्वास्थ खराब करने वाले शराब कारोबारियों के साथ और स्वास्थ सही करने वाले अस्पतालों के खिलाफ क्यों कार्य कर रही है। कहीं इसके पीछे मेक्स जैसे बड़े अस्पतालों के हाथ तो नहीं। आखिर जब छोटे क्लिनिक बन्द होंगे तभी तो बड़े अस्पतालों का कारोबार बढेगा।

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA ने इसके विरुद्ध हड़ताल कर दी है और उत्तराखण्ड के निजी अस्पताल बन्द हैं। जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हड़लताली डॉक्टरों का कहना है कि जब सरकार ने निजी अस्पताल सीलिंग कर बन्द करने ही हैं तो क्यों न हम खुद ही नद कर दें। कम से कम हमारा सम्मान तो बचा रहेगा।

जबकि सरकार को चाहिए कि निजी अस्पतालों में डॉक्टर की फीस का “एकरूप-निर्धारण” कर निजी अस्पतालों की लूट पर अंकुश लगाए। जिससे आम-जनमानस को लाभ मिल सके। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को महीने में काम से कम 3 दिन पहाड़ों में केम्प-होस्पिटलिंग करने के आदेश जारी करें। जिससे पहाड़ की स्वस्थ सेवा में सुधार हो सके।

 

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