सुविधाओं के हिसाब से अभी तक तय नहीं हो पा रही प्रोफेशनल कोर्स की फीस

सुविधाओं के हिसाब से अभी तक तय नहीं हो पा रही प्रोफेशनल कोर्स की फीस

प्रदेश के निजी महाविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के हिसाब से प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय नहीं हो पा रही है। हालांकि, इसके लिए सरकार ने प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति गठित की है, इसके बावजूद पिछले तीन साल से फीस रिवाइज नहीं हुई। नियामक समिति के नोडल अधिकारी एएस उनियाल के मुताबिक जल्द इस संबंध में बैठक कर कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में समान आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, यही वजह है कि कम सुविधाओं वाले कालेज अधिक फीस ले रहे हैं। निजी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के मुताबिक कुछ महाविद्यालयों में तय मानक के हिसाब से फीस तय होनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रही है।

फीस रिवाइज नहीं हो पाई
यही वजह है कि पिछले तीन साल से प्रोफेशनल कोर्स बीएड, एलएलबी, एमबीए, बीटेक, मेडिकल आदि की फीस रिवाइज नहीं हुई, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियामक समिति में अध्यक्ष का पद पूर्व में खाली होने एवं कुछ अन्य वजहों से फीस रिवाइज नहीं हो पाई है। नियामक समिति के अध्यक्ष का पद काफी समय से खाली था। पिछले साल जनवरी-फरवरी में इस पद पद जस्टिस महबूब अली की नियुक्ति हुई, लेकिन दिसंबर 2022 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। अब पिछले महीन इस पद पर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की नियुक्ति हुई है।

अब पैनल में होंगे कम से कम पांच सीए
उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों के मुताबिक, फीस निर्धारण को लेकर समिति के पास सब कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ पा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि सीए का एक ही पद है। कम से कम पांच सीए का पैनल बने इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी है।प्रवेश नियामक समिति कॉलेजों की फीस का सही निर्धारण नहीं कर पा रही है। समिति सभी कालेजों की फीस एक समान नहीं कर सकती। आधारभूत सुविधाओं के हिसाब से तय होनी चाहिए। –

प्रदेश के निजी महाविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के हिसाब से प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय नहीं हो पा रही है। हालांकि, इसके लिए सरकार ने प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति गठित की है, इसके बावजूद पिछले तीन साल से फीस रिवाइज नहीं हुई। नियामक समिति के नोडल अधिकारी एएस उनियाल के मुताबिक जल्द इस संबंध में बैठक कर कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में समान आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, यही वजह है कि कम सुविधाओं वाले कालेज अधिक फीस ले रहे हैं। निजी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के मुताबिक कुछ महाविद्यालयों में तय मानक के हिसाब से फीस तय होनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रही है।

फीस रिवाइज नहीं हो पाई
यही वजह है कि पिछले तीन साल से प्रोफेशनल कोर्स बीएड, एलएलबी, एमबीए, बीटेक, मेडिकल आदि की फीस रिवाइज नहीं हुई, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियामक समिति में अध्यक्ष का पद पूर्व में खाली होने एवं कुछ अन्य वजहों से फीस रिवाइज नहीं हो पाई है।

नियामक समिति के अध्यक्ष का पद काफी समय से खाली था। पिछले साल जनवरी-फरवरी में इस पद पद जस्टिस महबूब अली की नियुक्ति हुई, लेकिन दिसंबर 2022 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। अब पिछले महीन इस पद पर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की नियुक्ति हुई है।

अब पैनल में होंगे कम से कम पांच सीए

उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों के मुताबिक, फीस निर्धारण को लेकर समिति के पास सब कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ पा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि सीए का एक ही पद है। कम से कम पांच सीए का पैनल बने इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी है।

प्रवेश नियामक समिति कॉलेजों की फीस का सही निर्धारण नहीं कर पा रही है। समिति सभी कालेजों की फीस एक समान नहीं कर सकती। आधारभूत सुविधाओं के हिसाब से तय होनी चाहिए। – सुनील अग्रवाल, उपाध्यक्ष अखिल भारतीय निजी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन

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