उत्तराखंड के चार कलाकारों को मिला संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड

उत्तराखंड के चार कलाकारों को मिला संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 75 वर्ष से अधिक उम्र के 84 उत्कृष्ट कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अमृत अवार्ड से सम्मानित किया। ये वे कलाकार हैं, जिन्हें पहली बार किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है। विज्ञान भवन में शनिवार को आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति 17 वयोवृद्ध कलाकारों को सम्मानित करने के लिए मंच से उतरकर उनकी सीट तक गए। सम्मान पाने वालों में उत्तराखंड के चार वयोवृद्ध कलाकार भी शामिल हैं। इनमें उत्तराखंड के कलाकार भैरव दत्त तिवारी (79) और जगदीश ढौंडियाल (78) को लोक संगीत व नृत्य में अमृत अवार्ड दिया गया। जबकि नारायण सिंह बिष्ट (75) को लोक संगीत और जुगल किशेार पेटशाली (76) को उत्तराखंड की प्रदर्शन कला में समग्र योगदान के लिए अमृत अवार्ड से सम्मानित किया गया। अवार्ड के रूप में कलाकारों को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी गई।

कलाकारों ने संस्कृति को सुरक्षित रखा
उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि भारतीय संस्कृति की विरासत को बचाने वाले इन योद्धाओं का देश हमेशा आभारी रहेगा। धनखड़ ने कहा कि सदियों से हमारी संस्कृति पर आक्रमण होता रहा है। इन कलाकारों ने आनेवाले कल के लिए उसे सुरक्षित रखा।

उन्होंने अपनी संगीत विरासत की रक्षा कर युवा पीढ़ी को यही संदेश दिया है कि देश और भारतीयता से ऊपर कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की संस्कृति 500 से 600 सालों की है। लेकिन, हमें गर्व है कि हमारी संस्कृति 7000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। हम सबको मिलकर इसकी विरासत भावी पीढि़यों तक पहुंचानी है।

जुगल किशोर पेटशाली: अल्मोड़ा जिले के निवासी। राजुला-मालुसाही, मध्य हिमालय की अमर प्रेम गाथा और जय बाला मोरिया आदि पुस्तकें लिखीं।

नारायण सिंह बिष्ट: चमोली जिले के निवासी। उत्तराखंड की जागर परंपरा को आगे बढ़ाया।

जगदीश ढ़ौंढियालः पौड़ी गढ़वाल जिले के निवासी। नृत्य नाटिका कामायनी की लगभग 2500 अधिक प्रस्तुतियां दीं।

भैरव दत्त तिवारीः अल्मोड़ा निवासी। कुमाऊंनी लोक परंपरा में योगदान। दूरदर्शन के लिए रसिक रमोला और हारु हीत नाटकों की प्रस्तुति तैयार कीं।

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