एएफपीआई की छठी राष्ट्रीय सम्मेलन का तीसरे दिन उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने उद्घाटन किया
एम्स ऋषिकेश में आयोजित पारिवारिक चिकित्सा और प्राइमरी केयर पर आधारित छठी राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने औपचारिक रूप से अंतिम दिन की कार्यवाही का शुभारंभ किया। “प्राइमरी केयर फिजिशियन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की नींव हैं” थीम के तहत आयोजित इस सम्मेलन में 800 से अधिक प्रतिनिधि और 100 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों और फैकल्टी सदस्यों ने भाग लिया, जिन्होंने भारत में पारिवारिक चिकित्सा को मजबूत बनाने पर चर्चा की। एम्स की कार्यकारी निदेशक और सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना रहा। राज्यपाल सिंह ने एम्स द्वारा पारिवारिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने एम्स द्वारा 18 सुदूर गांवों को गोद लेने और मलिन बस्तियों में गरीबों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवाओं के आयोजन का विशेष उल्लेख किया, जिससे वंचित लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में बड़ा सुधार हुआ है।
राज्यपाल ने जन औषधि केंद्रों के महत्व पर भी जोर दिया, जो सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने चिकित्सकों से जनरल दवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की ताकि लोग सस्ती और प्रभावी दवाएं प्राप्त कर सकें। तीसरे दिन के मुख्य आकर्षण के रूप में, राज्यपाल सिंह ने सम्मेलन के कार्यक्रमों पर आधारित स्मारिका का ई-लॉन्च किया और “ट्रांसफॉर्मिंग लाइफ्स: कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम” पुस्तक का भी विमोचन किया, जो एम्स के सामुदायिक आउटरीच सेल की उपलब्धियों पर आधारित है।
परमार्थ निकेतन के आध्यात्मिक गुरु, स्वामी चिदानंद सरस्वती ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को पारिवारिक चिकित्सा के साथ जोड़ते हुए कहा कि पारिवारिक डॉक्टर और पारिवारिक चिकित्सा हमारे समाज की मूलभूत परंपराओं से जुड़े हैं। उन्होंने इन परंपराओं को संरक्षित और समृद्ध करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो परिवारों और समाज के समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।एएफपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रोफेसर रमन कुमार ने अपने संबोधन में भारत में पारंपरिक पारिवारिक डॉक्टरों की भूमिका को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि सुपर स्पेशलाइजेशन की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण पारिवारिक चिकित्सा का महत्व कम हो गया है, लेकिन इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है। प्रोफेसर कुमार ने यह भी बताया कि नीति आयोग और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने इस विषय को गंभीरता से लिया है और इसे भारत की स्वास्थ्य नीतियों में प्राथमिकता दी जा रही है।
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सम्मेलन के आयोजन सचिव, डॉ. संतोष कुमार ने सभी चिकित्सा विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि नए विचारों को आत्मसात करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अन्य प्रतिभागियों में डॉ. रश्मि मल्होत्रा, प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी (डीन एकेडमिक), डॉ. मनु मल्होत्रा, डॉ. महेंद्र सिंह, प्रोफेसर विकास भाटिया, और डॉ. अशोक भारद्वाज शामिल थे।