भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 103 अरब डॉलर के पार

भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से विकास कर रहा है। केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और ‘मेक इन इंडिया’ पहल से इस क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। 2024-25 में भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 52 अरब डॉलर का है और यह 13% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ते हुए 2030 तक 103.4 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत में सेमीकंडक्टर की सबसे अधिक मांग मोबाइल फोन, आईटी और औद्योगिक उपकरणों में देखी जाती है, जो इस उद्योग के कुल राजस्व का 70% योगदान देते हैं। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भी इस उद्योग में तेजी से उभर रहे हैं। सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें FABs और OSATs के लिए विशेष प्रोत्साहन, अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश और इंडस्ट्री के साथ साझेदारी में नई उत्पादन इकाइयों की स्थापना शामिल हैं। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के अनुसार, पिछले एक वर्ष में इस क्षेत्र में 21 अरब डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है। इससे भारत की सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हो रही है।
वर्तमान में, भारत सेमीकंडक्टर्स के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है, लेकिन सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल इस निर्भरता को कम करने पर केंद्रित है। यदि भारत अपने सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता है, तो यह न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि देश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा।
सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत पांच प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो देश में सेमीकंडक्टर निर्माण की नींव मजबूत करेंगी। इन परियोजनाओं में Micron Technology, Tata Electronics (दो परियोजनाएं), CG Power और Keynes Technology शामिल हैं। इन प्रयासों से भारत सेमीकंडक्टर उत्पादन के क्षेत्र में एक वैश्विक हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।