जानिए, पूजा में किस माला का क्या है महत्व?
यूं तो प्रार्थना करने के सभी के भिन्न भिन्न तरीके होते हैं. लेकिन मंत्र जाप करना सबसे प्रभावशाली माना जाता है, क्योंकि ये मन को बहुत जल्द एकाग्र कर देते हैं. अलग-अलग मंत्र जाप से अलग-अलग फायदे होते हैं. इसलिए मंत्र जाप करने के लिए भी अलग-अलग मालाओं का प्रयोग करना चाहिए. आइए जानते हैं कि किस माला का क्या महत्व होता है…
1. रुद्राक्ष माला-
– शास्त्रों में इस माला को सर्वश्रेष्ठ माला कहा गया है. इस माला से किसी भी मंत्र का जाप आसानी से किया जा सकता है और जाप का पूर्ण फल भी मिलता है.
– भगवान शिव के मंत्र के साथ-साथ किसी भी देवी देवता के मंत्र का जाप किया जा सकता है.
– हमेशा महामृत्युंजय मन्त्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए.
2. हल्दी माला-
– मन की इच्छा को पूरा करने के लिए हल्दी माला का प्रयोग किया जाता है.
– गुरुदेव बृहस्पति और मां बगलामुखी के मंत्र का जाप इसी माला से होता है.
– हल्दी माला से विद्या प्राप्ति, संतान प्राप्ति और ज्ञान प्राप्ति के लिए मंत्र जाप किया जाता है.
3. स्फटिक माला-
– स्फटिक माला का प्रयोग धन प्राप्ति और मन की एकाग्रता के लिए किया जाता है.
– मां लक्ष्मी के मंत्र जाप इसी माला के द्वारा करें.
– उच्च रक्तचाप में इस माला को पहन सकते हैं.
4. चंदन की माला-
– चंदन की माला दो प्रकार की होती है, एक सफेद चंदन और दूसरा लाल चंदन.
– मां दुर्गा के मंत्र का जाप लाल चंदन की माला के द्वारा होता है.
– सफेद चंदन की माला से भगवान कृष्ण के मंत्र का जाप किया जाता है.
– राहु की महादशा में सफेद चंदन की माला को पहना जाता है.
5. तुलसी की माला-
– तुलसी की माला से देवी और भगवान शिव के मंत्र का जाप नहीं किया जाता.
– तुलसी की माला धारण करने पर हमेशा वैष्णव रहना चाहिए.
– तुलसी की माला द्वारा भगवान विष्णु के मंत्र का जाप किया जाता है. इसलिए यह माला बहुत महत्वपूर्ण है.
6. कमलगट्टे की माला-
– कमलगट्टे की माला का प्रयोग धन वैभव प्राप्ति के लिए किया जाता है.
– शत्रुओं के नाश के लिए भी कमलगट्टे का प्रयोग किया जाता है.
– मंत्र जाप के बाद इस माला को पूजा स्थान में रखना चाहिए.
किसी भी माला के प्रयोग में बरतें ये सावधानियां-
– माला हमेशा 108 या 27 दाने की होनी चाहिए.
– हर दाने के बाद एक गांठ जरूर लगी हो.
– मंत्र जाप के समय माला ढ़की होनी चाहिए.
– मंत्र जाप करते समय तर्जनी उंगली का स्पर्श नहीं होना चाहिए.
– सुमेरु को भी नहीं लांघना चाहिए.
– माला हमेशा अपनी रखनी चाहिए किसी और को इसका प्रयोग ना करने दें.
– मंत्र जाप के बाद माला को मंदिर में रखना चाहिए उसे धारण नहीं करना चाहिए.