Maha Kumbh 2025: प्रयागराज के प्राचीन मंदिरों का कायाकल्प और तीर्थराज की महिमा

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज के प्राचीन मंदिरों का कायाकल्प और तीर्थराज की महिमा

महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर तीर्थराज प्रयागराज में जोरदार तैयारियां चल रही हैं। शहर के हर कोने में महाकुंभ की झलक देखने को मिल रही है। प्रशासन और पर्यटन विभाग मिलकर प्राचीन मंदिरों और आश्रमों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं। मंदिर परिसरों में बुनियादी सुविधाएं जैसे टॉयलेट, यात्री शेड, बेंच, और फ्लोरिंग का निर्माण किया जा रहा है। क्षेत्रीय पर्यटन सचिव अपराजिता सिंह ने कहा कि श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इन कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

प्रयागराज: तीर्थराज का गौरव
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर भगवान ब्रह्मा ने पहला यज्ञ किया था। इस कारण इसे ‘प्रयाग’ नाम दिया गया, जो ‘प्र’ (प्रथम) और ‘याग’ (यज्ञ) से मिलकर बना है। यज्ञ के दौरान भगवान विष्णु 12 माधव रूप में इसकी रक्षा कर रहे थे, जिन्हें ‘द्वादश माधव’ कहा जाता है। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, ताकि महाकुंभ में श्रद्धालु इनका दर्शन कर सकें।

शास्त्रों के अनुसार, प्रयागराज को सभी तीर्थों का राजा यानी ‘तीर्थराज’ कहा गया है। ‘पद्मपुराण’ में इसे सभी तीर्थों में श्रेष्ठ बताया गया है, और ‘ब्रह्मपुराण’ में माघ मास में संगम पर स्नान का महत्व करोड़ों अश्वमेध यज्ञों के बराबर बताया गया है।

महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालु यहां की धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्रयागराज के जीर्णोद्धारित मंदिरों और आश्रमों की भव्यता का अनुभव करेंगे।

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