नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई: आईईडी ब्लास्ट का सहारा ले रहे माओवादी

नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई: आईईडी ब्लास्ट का सहारा ले रहे माओवादी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के जड़ से खात्मे की योजना का ऐलान करते हुए मार्च 2026 तक इस समस्या को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों के प्रयास तेज हो गए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 200 से अधिक नए कैंप और फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित किए गए हैं। इससे नक्सली संगठनों में बौखलाहट बढ़ गई है और नई भर्ती की समस्या उत्पन्न हो गई है।

सुरक्षा बलों की बढ़ती रणनीतिक गतिविधियों और वित्तीय संसाधनों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की सख्ती के चलते नक्सली अब आमने-सामने की लड़ाई से बचने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप, माओवादी अब आईईडी ब्लास्ट का सहारा ले रहे हैं। इन ब्लास्ट्स के लिए वे स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री जैसे पोटाशियम, चारकोल, और नाइट्रेट का इस्तेमाल कर विस्फोटक उपकरण बना रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, नक्सल प्रभावित इलाकों में भारी संख्या में ऐसे विस्फोटक तैयार किए जा रहे हैं। आईईडी को रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड ट्रिगर्स, प्रेशर सेंसिटिव बार्स, और अन्य तकनीकों से संचालित किया जाता है। नक्सलियों को इन उपकरणों का उपयोग करने की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि नक्सली अब दूर से नियंत्रित विस्फोटों पर अधिक निर्भर हो गए हैं, जिससे सीधी मुठभेड़ों की घटनाएं कम हो रही हैं। यह सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती है, क्योंकि ऐसे ब्लास्ट्स को समय पर निष्क्रिय करना कठिन होता है।

बैलिस्टिक विशेषज्ञों के अनुसार, नक्सली 1.95 डेस्क टाइमर और स्पेशल डेटोनेटर जैसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, यदि ब्लास्ट की टाइमिंग गलत हो जाए, तो विस्फोट करने वाले भी मारे जा सकते हैं।

इस नई चुनौती के बावजूद, सुरक्षा बल और गृह मंत्रालय के संयुक्त प्रयास नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने की ओर अग्रसर हैं।

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