डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा पहाड़, सृजित 500 पदों में से 320 खाली

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा पहाड़, सृजित 500 पदों में से 320 खाली

कुमाऊं के अगर छह जिलों की बात करें तो यहां के अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर तो दूर सामान्य ड़़ाक्टर तक उपलब्ध नहीं हैं। सरकार अस्पताल से ही दवाएं देने की बात करती है लेकिन पर्ची पर जो दवाएं लिखीं जाती है वे अक्सर अस्पताल में नहीं मिलती हैं। ऐसे में तीमारदारों को बाहर केमिस्ट की दुकान से महंगी दवाएं लेनी पड़तीं हैं। मरीजों के तीमारदारों को कहना है कि कई डॉक्टर तो जानबूझकर बाहर की दवा लिखते हैं। यह बात सच भी लगती है क्योंकि पिछले ही दिनों एक डॉक्टर को बाहर की दवा लिखने पर निलंबित किया गया था। मंडल के अस्पतालों में कहीं चिकित्सा उपकरण बिना तकनीशियनों के अभाव के धूल खा रहे हैं या ताले में बंद हैं तो कहीं तकनीशियन उपकरण के इंतजार में हैं। यही वजह है कि मामूली से एक्सरे और अल्ट्रासाउंड के लिए भी पर्वतीय जिलों के लोगों को हल्द्वानी या अन्य जगहों की दौड़ लगानी पड़ती है। विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत सामनआती हैं। कुमाऊं के अस्पताल में सृजित 674 पदों में से सिर्फ 301 पर ही विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, 376 पद रिक्त हैं।

अल्मोड़ा

  • विशेषज्ञ चिकित्सकों के 110 पद स्वीकृत, 40 पर तैनात, 70 रिक्त।
  • 425 करोड़ से बना मेडिकल कॉलेज, रेडियोलॉजिस्ट न होने से अल्ट्रासाउंड भी ठप। ब्लड बैंक भी नहीं
  • एमआरआई होती है, पर रिपोर्ट बाहर से आती है, मरीजों को करना पड़ता है इंतजार
  • मेडिकल कॉलेज में 36 फैकल्टी कम।
  • बेस अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ के चार पद स्वीकृत चारों रिक्त महिला अस्पताल में भी तीन के सापेक्ष दो चिकित्सक और रानीखेत उप जिला चिकित्सालय में दो के सापेक्ष एक महिला रोग विशेषज्ञ तैनात।
  • जिले के अस्पतालों में फार्मासिस्ट के 106 पद स्वीकृत, 146 तैनात। आंकड़ों  के मुताबिक जिले में स्वीकृत पदों के सापेक्ष 40 फार्मासिस्ट से अधिक तैनात हैं और सरकारी कागजों में इसकी संख्या अधिक है।
  • द्वाराहाट, चौखुटिया सीएचसी में खरीदी गईं अल्ट्रासाउंड मशीनें रेडियोलॉजिस्ट न होने से 15 साल से खा रही जंक।
  • जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज और रानीखेत उप जिला चिकित्सालय में जन औषधी केंद्रों में दवा की कमी। यहां 250 तरह की दवा के सापेक्ष सिर्फ 20 से 30 तरह की दवा ही मिलती है। ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवा खरीदनी पड़ती है।
  • नौ सीएचसी के सापेक्ष जैंती, शंगली, द्वाराहाट, भिकियासैंण, धौलादेवी, लमगड़ा में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं।
बागेश्वर

  • जिला अस्पताल में तीन के बजाय एक निश्चेतक। कपकोट, कांडा सीएचसी में 6 पद स्वीकृत विशेषज्ञ डॉक्टर एक भी नहीं।
  • बैजनाथ सीएचसी में छह के स्थान पर तीन विशेषज्ञ चिकित्सक। जिला अस्पताल, बैजनाथ सीएचसी के अलावा अन्य अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं, कांडा सीएचसी में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है।

पिथौरागढ़

  • जिला अस्पताल, उप जिला चिकित्सालय धारचूला, चार सीएचसी, सात पीएचसी टाइप बी, 46 पीएचसी टाइप ए, 163 परिवार कल्याण और टीबी क्लीनिक, सीएमओ कार्यालय समेत 224 छोटे-बड़े चिकित्सालय। धारचूला, बेड़ीनाग, गंगोलीहाट, डीडीहाट में माह में एक बार अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था।
  • जिले में हृदय, दिमाग संबंधी बीमार का उपचार नहीं मिलता।
  • आठ विकासखंडों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मेसिस्ट के 84 पदों में से 38 पद रिक्त। जिला अस्पताल में मुख्य फार्मासिस्ट समेत 11पद थे, अब यहां पांच पद ही रह गए हैं।
  • धारचूला उप जिला चिकित्सालय में मुख्य फार्मासिस्ट समेत तीन, सीएचसी में मुख्य और एक फार्मासिस्ट, पीएचसी में एक-एक फार्मासिस्ट का पद रह गया है। धारचूला, डीडीहाट सीएचसी में दो फार्मासिस्ट के पद स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत एक ही है।
चंपावत

  • 21 सरकारी अस्पतालों में से तीन को छोड़ बाकी जगह नामभर का इलाज। कहीं भी दिल की बीमारी का इलाज नहीं है, न सीटी स्कैन मशीन ना ही न्यूरो का इलाज।
  • तीन (चंपावत, लोहाघाट और टनकपुर) अस्पतालों को छोड़ जिले के 18 स्वास्थ्य केंद्रों में प्राथमिक इलाज लायक भी सुविधा नहीं।  चंपावत, लोहाघाट और टनकपुर के अलावा कहीं भी एक्सरे की सुविधा नहीं।
  • गायनाकोलॉजिस्ट की सुविधा भी सिर्फ चंपावत और लोहाघाट अस्पताल में है। – टनकपुर और लोहाघाट के ट्रॉमा सेंटर का सात साल बाद भी संचालन नहीं। – किसी भी अस्पताल में ह्दयरोग विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन, माइक्रो बायलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, मानसिक रोग विशेषज्ञ नहीं।
  • चंपावत जिला अस्पताल को छोड़ किसी भी अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं है।
  • जिले में कहीं भी सीटी स्कैन सुविधा नहीं है।
  • जिले में एकमात्र रक्त कोष चंपावत जिला अस्पताल में हैं। मैदानी क्षेत्र टनकपुर-बनबसा के लोग खून के लिए ऊधमसिंह नगर और हल्द्वानी
  • पर आश्रित हैं।

भीमताल-नैनीताल

  • भीमताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में फिजीशियन, सर्जन, महिला रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को हायर सेंटर जाना पड़ता है। अल्ट्रासाउंड न होने से गर्भवती महिलाओं को भी रेफर कर दिया जाता है।
  • भवाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इससे मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
  • गरमपानी, सुयालबाड़ी, बेतालघाट, रामगढ़ और पदमपुरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इसके चलते अस्पताल आने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी के अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है। ओखलकांडा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ डॉक्टर, अल्ट्रासाउंड मशीन के न होने का खामियाजा बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को झेलना पड़ रहा है।

ऊधमसिंह नगर 

  • जिला अस्पताल में विशेषज्ञों के 13, चिकित्साधिकारी के 6 पद खाली। एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात। स्त्री रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन, फिजिशियन, मनोरोग, चर्म रोग, एनेस्थेटिस्ट, बाल रोग, ईएनटी का एक-एक पद खाली। पैथोलॉजिस्ट के दो, फोरेसिंक का एक, माइक्रोबायोलॉजिस्ट का एक, आयुष का एक पद खाली।
  • जसपुर सीएचसी के 3प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो डॉक्टरों की कमी। दो फार्मासिस्ट, 4 वार्ड बॉय, 2 स्वीपर के पद रिक्त।
  • एलडी भट्ट राजकीय उप जिला चिकित्सालय काशीपुर में फिजिशियन, फिजियोथैरेपिस्ट, सर्जन, निश्चेतक, फिजिशियन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, मेडिकल ऑफिसर 6, स्टाफ नर्स 17, फार्मासिस्ट एक, लैब टेक्नीशियन के दो पद रिक्त।
  • नानकमत्ता सीएचसी में से एक चिकित्सक जून से अवकाश पर। एक आयुर्वेदिक चिकित्सा, एक फार्मासिस्ट, दो वार्ड बॉय, दो स्वच्क्षक ही तैनात। अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं। एक्स-रे मशीन है, चलाने वाला कोई नहीं। विधायक निधि से मिली एंबुलेंस दो साल से जाम।
  •  गदरपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ, ईएमओ के दो पद रिक्त। सर्जन एवं डर्मेलॉजिस्ट के साथ सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं। रेडियोलॉजिस्ट नहीं। चीफ और फार्मासिस्ट का एक-एक, वार्ड बॉय के दो, स्वच्छक का एक और स्टाफ नर्स के चार पद रिक्त।
  •  दिनेशपुर के पुलिन विश्वास अतिरिक्त प्रा० स्वा० केन्द्र में एक प्रभारी चिकित्साधिकारी, एक आर्युर्वेद चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट, एक अस्थायी वार्ड बॉय, एक स्वच्छ कर्मी, दो एएनएम, चार स्टाफ नर्स तैनात। महिला चिकित्सक, बाल रोग विशेषज्ञ, लैब टेक्नीशियन, स्थायी वार्ड बॉय, अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं। एक्सरे मशीन है, टेक्नीशियन नहीं। लैब टैक्नीशियन नहीं होने के कारण हल्द्वानी के एक लैब से खून की जांच होती है। पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध नही है।
  • बाजपुर सीएचसी में चिकित्सकों के 23 पदों से 15 रिक्त। फार्मेसिस्ट और वार्ड बॉय के दो दो पद रिक्त
  • सितारगंज सीएचसी में महिला चिकित्साधिकारी, सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, महिला रोग विशेषज्ञ के पद खाली। चिकित्साधिकारी के दो पद पर कार्यरत तीन। होमियोपैथिक चिकित्साधिकारी का एक, नर्सिंग अधिकारी के दो पद खाली।
कुमाऊं के पांच जिलों में तो दिल का दर्द दूर करने वाला भी कोई नहीं
मंडल के जिला अस्पतालों से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक दिल के दर्द काे दूर करने के लिए एक ही डॉक्टर है और वह भी नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में तैनात हैं। ऐसे में दूर दराज के इलाकों में अगर किसी को हृदयघात होता है तो उसका बचना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन होता है।

कोरोनाकाल के बाद सभी अस्पतालों में व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। अस्पतालों के भवनों के साथ मशीन भी अपग्रेड हुईं हैं। सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट और आक्सीजन कंसनट्रेटर भी चालू अवस्था में हैं। रिक्त पदों को भरने के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है। जिले में फार्मासिस्ट की कोई कमी नहीं है। -डॉ. भागीरथी जोशी, सीएमओ नैनीताल।

जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों के रिक्त पदों की संख्या संज्ञान में है। समय समय पर निदेशालय को रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है। डाक्टर उपलब्ध होते ही खली पदों पर नियुक्ति की जाएगी। – डॉ. मनोज कुमार शर्मा, सीएमओ

विशेषज्ञ चिकित्सकों का हाल
जिला               स्वीकृत पद      तैनाती      रिक्त
नैनीताल             173              72        101
अल्मोड़ा            110              40         70
चंपावत              13               08         05
ऊधमसिंह नगर   106             30         76
पिथौरागढ़           63              18         45
बागेश्वर               35              12         23
कुल                  500             180      320

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