पीके की गिरफ्तारी: अनशन, प्रदर्शन और रिहाई का नाटकीय घटनाक्रम
दो जनवरी से बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठे जनसुराज सूत्रधार प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी ने बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी। पटना पुलिस ने उन्हें सरकारी काम में बाधा और बिना अनुमति धरना प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार कर छह घंटे तक सड़कों पर घुमाया। कोर्ट में पेशी के दौरान प्रशांत किशोर ने किसी भी शर्त पर जमानत लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने उन्हें 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन शर्त न मानने पर उन्हें जेल भेज दिया गया।
कुछ समय बाद, कोर्ट का आदेश संशोधित कर प्रशांत किशोर को रिहा कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने जेल में रहते हुए आमरण अनशन जारी रखने की घोषणा की। समर्थकों के आक्रोश और प्रदर्शन के बीच प्रशांत किशोर ने शांति बनाए रखने की अपील की।
राज्यभर में विरोध प्रदर्शन
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के खिलाफ पटना, सहरसा, गया, औरंगाबाद और समस्तीपुर समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। औरंगाबाद में सीएम नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया, जबकि सहरसा में विभिन्न दलों ने विरोध मार्च निकाला। समस्तीपुर में जनसुराज कार्यकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकालकर गिरफ्तारी का विरोध किया।
प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में युवाओं और महिलाओं की आवाज उठाने पर कार्रवाई होती है। उन्होंने जेल में रहकर अनशन जारी रखने और छात्रों के हितों के लिए आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया।