देश की छवि को धूमिल कर रहे कुछ लोग, उनके प्रयासों को कुचलना होगा – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

देश की छवि को धूमिल कर रहे कुछ लोग, उनके प्रयासों को कुचलना होगा – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि गुलामी की सोच से मुक्ति की दिशा में उठाए जा रहे कदम का कुछ गिने चुने लोग विरोध कर रहे हैं। यही वह लोग हैं जो हमारी संस्कृति में विश्ववास नहीं रखते और हमारे शोध, दर्शन का अनादर करते हैं। अब समय आ गया है कि प्रत्येक भारतवासी ऐसे तत्वों के कुत्सित प्रयासों को कुचल दे। उपराष्ट्रपति ने आर्य समाज के योगदान और आर्य मनीषियों का स्मरण कर विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत 10वें पायदन से पांचवे आर्थिक विकास की सूची में है। वह दिन दूर नहीं कि अगले दशक में इसका स्थान तीसरे पायदान पर होगा।

उन्होंने जी 20 की सफलता को सराहा और कहा कि यूके, फ्रांस जर्मनी और कनाडा सब पीछे रह जाएंगे। इस दशक के अंत में नए भारत का उद्भव होगा। गुलामी की हर सोच से मुक्ति मिल जाएगा। हमें यह संस्कृति विकसित करनी होगी। विरासत पर गर्व करना, एकता और एक जड़ता, नागरिकों के कर्तव्य समेत उन्होंने प्रधानमंत्री के पंच प्रण को सफल होता बताया।

गुलामी के हर चिह्न से मुक्ति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्य मनीषियों ने नारी सशक्तिकरण के लिए बेहतर योगदान दिया। देशभर में आर्य कन्या विद्यालयों की स्थापना को उन्होंने नारी सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिशाल बताया। कहा कि मैं भारत भूमि के सबसे पुण्य भूम से यह बात कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रणों में से एक प्रण यह भी है कि गुलामी के हर चिह्न से मुक्ति। हमारे शास्त्र और वेदों का अनुसरण आज पूरी दुनिया कर रही है। देश के 60 शहरों में 200 से ज्यादा बैठक में शामिल होकर विदेशी नेताओं ने भारत की संस्कृति का ज्ञान हासिल किया। आज अचंभित हैं लोग कि हमने पूरे विश्व को योग दिया।

भारत ने दिया विश्व को शांति ज्ञान का योगदान
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरा सिर ऊंचा है कि मैं इस महान भारत मां की सेवा में लगा हुआ हूं। मुझे गर्व है कि भारत ने विश्व को शांति ज्ञान का महान योगदान दिया। भारत ने वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श दिया है। दुनिया आज हमारे मोटिव को ग्रहण कर रही है। उन्होंने कहा कि जी 20 में हिस्सा लेने कई राष्ट्राध्यक्ष आए उनका स्वागत किया गया। हम देख रहे थे उनके पीछे कोर्णार्क के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का चक्र प्रतीक लगा हुआ था। हर फोटो में कोर्णार्क के सूर्य मंदिर की झलक दिखाई दी। वहीं यूनेस्को सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय दिखा। दुनिया ने देख लिया कि भारतीय संस्कृत के गलियारे में पाणिनी के व्याकरण ग्रंथ, अष्टाध्याई पांडुलिपियों, मूर्ति कला और मध्य प्रदेश के गुफा का चित्र अलग ही महत्ता स्पष्ट करती है।

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नए संसद भवन में दिखती है संस्कृति की झलक
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नए संसद भवन में भी भारतीयता और हमारी सदियों पुरानी संस्कृति के भरपूर झलक देखे जा सकते हैं। राष्ट्रीय पक्षी मोर को देखेंगे तो वहीं राष्ट्रीय पुष्प कमल और प्रांगण में वृक्ष बरगद भी है। यह वह बदलाव है जो थम नहीं रहा है। यह बदलाव निरंतर आगे बढ़ रहा है।

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