तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, डोली ने किया चोपता की ओर प्रस्थान
श्री तुंगनाथ/उखीमठ/रुद्रप्रयाग, 4 नवंबर – पंचकेदारों में प्रतिष्ठित तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह 11 बजे विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस विशेष अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया था, और 500 से अधिक श्रद्धालु इस धार्मिक कार्यक्रम के साक्षी बने। कपाट बंद होने के बाद, भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली को स्थानीय वाद्य यंत्रों और जयकारों के साथ चोपता की ओर प्रस्थान कराया गया। बीकेटीसी के अध्यक्ष ने जानकारी दी कि इस यात्रा वर्ष में 1.7 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान तुंगनाथ जी के दर्शन किए। मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने भी श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं दीं।
कपाट बंद होने से एक दिन पहले, 3 नवंबर को मंदिर में यज्ञ-हवन किया गया था। 4 नवंबर की सुबह 4:30 बजे मंदिर खुला और सुबह की पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने अंतिम बार भगवान तुंगनाथ के दर्शन किए। ठीक 10 बजे से मंदिर के गर्भगृह में कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ की गई। भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि स्वरूप में सजाया गया और स्थानीय पुष्पों तथा अक्षत से ढक दिया गया।
कपाट बंद होने की इस प्रक्रिया में मठापति रामप्रसाद मैठाणी, प्रबंधक बलबीर नेगी, डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित और पुजारियों अतुल मैठाणी एवं अजय मैठाणी की उपस्थिति में सभी धार्मिक विधियां पूर्ण की गईं।
डोली का शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर प्रवास
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि भगवान तुंगनाथ की चलविग्रह डोली 4 नवंबर को चोपता में प्रवास करेगी। इसके बाद 5 और 6 नवंबर को भनकुन में डोली का पड़ाव रहेगा और 7 नवंबर को यह शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर, मक्कूमठ पहुंचेगी। यहाँ पर भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा-अर्चना शुरू होगी।
इस अवसर पर मंदिर के कई पुजारीगण, वन विभाग और पुलिस प्रशासन के प्रतिनिधि, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।