भूस्खलन से राहत के लिए उत्तराखंड को केंद्र से ₹125 करोड़ की परियोजना स्वीकृत, पहले चरण में ₹4.5 करोड़ जारी

भूस्खलन से राहत के लिए उत्तराखंड को केंद्र से ₹125 करोड़ की परियोजना स्वीकृत, पहले चरण में ₹4.5 करोड़ जारी

देहरादून, 31 जुलाई 2025 — उत्तराखंड को भूस्खलन जैसी आपदाओं से स्थायी समाधान दिलाने के लिए राज्य को केंद्र सरकार से ₹125 करोड़ की भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन परियोजना की स्वीकृति मिल गई है। इस परियोजना के पहले चरण में भारत सरकार द्वारा ₹4.5 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई है, जिसका उपयोग अन्वेषण कार्यों और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की तैयारी में किया जाएगा। यह परियोजना उत्तराखंड राज्य के उन क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जहां भूस्खलन की घटनाएं सबसे अधिक और गंभीर हैं। परियोजना को उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) और उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) ने मिलकर तैयार किया है। प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशों पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और गृह मंत्रालय ने त्वरित स्वीकृति दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि यह परियोजना राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इससे हजारों लोगों को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य के पाँच सर्वाधिक संवेदनशील स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर चयनित किया गया है, जहां स्थायी समाधान की दिशा में कार्य होगा।

इन पाँच स्थानों को किया गया है प्राथमिकता पर चयनित:

  1. मनसा देवी हिल बाईपास रोड, हरिद्वार – इस मार्ग पर लगातार चट्टानें गिरने से जनसुरक्षा को खतरा बना हुआ है। यह कांवड़ यात्रा के दौरान वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग होता है।

  2. गलोगी जलविद्युत परियोजना मार्ग, मसूरी (देहरादून) – देहरादून-मसूरी मार्ग पर स्थित यह क्षेत्र वर्षा में अक्सर भूस्खलन से प्रभावित होता है।

  3. बहुगुणा नगर भू-धंसाव क्षेत्र, कर्णप्रयाग (चमोली) – यहां लगातार भूमि धंसने की घटनाओं से कई आवासीय भवन और सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।

  4. चार्टन लॉज भूस्खलन क्षेत्र, नैनीताल – सितम्बर 2023 में यहां हुए भारी भूस्खलन से कई घर क्षतिग्रस्त हुए और परिवारों को विस्थापित होना पड़ा।

  5. खोतिला-घटधार क्षेत्र, धारचूला (पिथौरागढ़) – भारत-नेपाल सीमा से सटे इस क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा और भू-कटाव के कारण सीमा क्षेत्र में भू-क्षरण की गंभीर स्थिति बनी हुई है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्थलों पर वैज्ञानिक और तकनीकी विधियों से भूस्खलन न्यूनीकरण के उपाय किए जाएंगे। इससे जनसुरक्षा के साथ-साथ यातायात, आर्थिक गतिविधियों और सीमावर्ती स्थिरता को मजबूती मिलेगी।

Saurabh Negi

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