उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा परिषद ने इन दो शिक्षा बोर्डों को किया फर्जी घोषित, छात्रों को सतर्क रहने की अपील

उत्तराखंड में शिक्षा के नाम पर बड़ा खुलासा हुआ है। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (यूबीएसई) ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड ओपन स्कूल और काउंसिल आफ ओपन स्कूलिंग नाम से चल रहे संस्थान पूरी तरह फर्जी हैं। इन संस्थानों द्वारा जारी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र किसी भी स्तर पर मान्य नहीं हैं।
शिक्षा परिषद के अनुसार, इन दोनों संस्थानों की वेबसाइटों पर लंबे समय से यह दावा किया जा रहा था कि उनके प्रमाणपत्र सरकारी और निजी संस्थानों में मान्य हैं। लेकिन जब विभागीय स्तर पर जांच की गई तो यह सभी दावे झूठे और भ्रामक पाए गए। परिषद ने कहा है कि छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने वाले इन संस्थानों के खिलाफ अब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाएगी।
परिषद के सचिव वीपी सिमल्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम 2006 की धारा 24 और वर्ष 2009 के विनियमों के तहत केवल वही परीक्षाएं समकक्ष मानी जाती हैं जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों, संसद अथवा राज्य विधानमंडल द्वारा गठित शिक्षा बोर्ड, केंद्र या राज्य सरकार की ओर से गठित परिषद और काउंसिल आफ बोर्ड्स आफ स्कूल एजुकेशन (COBSE) के सदस्य आयोजित करते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उत्तराखंड ओपन स्कूल और काउंसिल आफ ओपन स्कूलिंग किसी भी मान्यता प्राप्त सूची में शामिल नहीं हैं।
इस संबंध में परिषद ने दो टूक कहा है कि इन संस्थानों से जारी किसी भी प्रकार के प्रमाणपत्र को वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं होगी। इसलिए ऐसे प्रमाणपत्रों का उपयोग न तो उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए और न ही रोजगार प्राप्त करने के लिए किया जा सकेगा।
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माध्यमिक शिक्षा निदेशक व परिषद के सभापति डॉ. मुकुल कुमार सती ने भी छात्रों और अभिभावकों को आगाह किया। उन्होंने अपील की कि किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले उसकी वैधानिकता और मान्यता की जांच करना बेहद जरूरी है। डॉ. सती ने कहा कि ऑनलाइन दावों और आकर्षक विज्ञापनों के चक्कर में कई छात्र-छात्राएं अपने भविष्य से खिलवाड़ कर बैठते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि फर्जी संस्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि छात्र गुमराह न हों।
शिक्षा विभाग का कहना है कि इन फर्जी संस्थानों पर अंकुश लगाने और उनके दावों की सच्चाई उजागर करने के लिए पुलिस को लिखित शिकायत दी जाएगी। साथ ही अभिभावकों से अपील की गई है कि किसी भी प्रवेश प्रक्रिया से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची अवश्य देखें।