उत्तराखंड में छात्रसंघ चुनाव रद्द, सरकार के फैसले के खिलाफ मूल निवास और भू-कानून संघर्ष समिति ने जताया विरोध

उत्तराखंड में छात्रसंघ चुनाव रद्द, सरकार के फैसले के खिलाफ मूल निवास और भू-कानून संघर्ष समिति ने जताया विरोध

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस साल राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे निस्तारित कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के शासनादेश को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया।

याचिका देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल 2024 को एक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था, जिसमें 30 सितंबर तक छात्रसंघ चुनाव कराने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस निर्देश का पालन नहीं किया और शासन से जरूरी दिशा-निर्देश भी नहीं लिए, जो लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है। सिंह के अनुसार, चुनाव न होने से छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

छात्रसंघ चुनाव रद्द करने के फैसले का विरोध में भू-कानून और मूल निवास संघर्ष समिति –
देहरादून। मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रदेश के छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। टोडरिया के अनुसार, छात्रसंघ चुनावों को रद्द करने का निर्णय भाजपा सरकार का युवाओं की आवाज को कुचलने का प्रयास है।

इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड में इस साल नहीं होंगे छात्रसंघ चुनाव, हाईकोर्ट ने याचिका की निस्तारित

संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार नहीं चाहती कि राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मूल निवास और भू-कानून जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस हो। समिति का मानना है कि छात्रसंघ चुनाव छात्रों का लोकतांत्रिक अधिकार है और यह युवाओं को अपने प्रतिनिधि चुनने और सार्वजनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए मंच प्रदान करता है।संघर्ष समिति जल्द ही इन मुद्दों पर छात्रों के बीच एक व्यापक युवा अधिवेशन आयोजित करेगी। समिति ने प्रदेश के सभी युवा संगठनों और छात्रों से अपील की है कि वे सरकार के इस निर्णय का विरोध करें और छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की मांग को लेकर एकजुट हों।

 

Saurabh Negi

Share