प्रदेश की पहली ड्रोन नीति से निवेश, रोजगार की नई ऊंचाई को छुएगा उत्तराखंड

प्रदेश की पहली ड्रोन नीति से निवेश, रोजगार की नई ऊंचाई को छुएगा उत्तराखंड

प्रदेश की पहली ड्रोन नीति से उत्तराखंड निवेश और रोजगार की नई ऊंचाई छुएगा। धामी सरकार ने नीति बनाकर राज्य में जहां एक हजार करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा है तो दूसरी ओर पांच हजार रोजगार और पांच हजार ड्रोन पायलट के स्वरोजगार की भी उम्मीद जताई है। राज्य में ड्रोन निर्माण, ड्रोन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए विशेष सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है।

ये हैं ड्रोन नीति की खास बातें

  • नीति को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टेट ड्रोन समिति का गठन होगा। इसमें सचिव आईटी, सचिव वित्त, सचिव नियोजन, सचिव गृह, यूकाडा के सीईओ, आईटीडीए निदेशक, ड्रोन इंप्लीमेंटेशन के राज्य ऑफिसर बतौर सदस्य शामिल होंगे। इसके अलावा अन्य जरूरी विभागों के सचिव व मुख्य सचिव की ओर से नामित अधिकारी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
  • ड्रोन निर्माण उद्योग में 500 करोड़ व ड्रोन सर्विस क्षेत्र में 500 करोड़ निवेश होगा। वार्षिक राजस्व 500 करोड़ का होगा। इससे 5000 रोजगार सृजित होंगे। 5000 सर्टिफाइड ड्रोन पायलट तैयार होंगे।
  • ड्रोन सिस्टम डिजाइन व मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को पहले साल में लीज के किराए का 75 प्रतिशत या 20 लाख रुपये तक, दूसरे साल में 50 प्रतिशत या 15 लाख रुपये तक, तीसरे साल में 25 प्रतिशत या 10 लाख रुपये तक सब्सिडी दी जाएगी।
  •  ड्रोन सर्विस से जुड़े उद्योगों पर भी पहले साल अधिकतम 10 लाख, दूसरे साल 7.5 लाख और तीसरे साल अधिकतम पांच लाख की सब्सिडी दी जाएगी।
  • स्टार्टअप नीति के तहत 200 करोड़ के वेंचर फंड में से 15 प्रतिशत राशि ड्रोन से जुड़े निर्माण या सर्विस क्षेत्र के स्टार्टअप को दिए जाएंगे।
  • ड्रोन स्कूल, रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन व ड्रोन कोर्स चलाने पर 50 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी जो कि अधिकतम एक करोड़ के निवेश पर मिलेगी।
  • आईटीडीए की ओर से ड्रोन निर्माण व ड्रोन सेवा से जुड़े उद्योगों को सर्किल रेट से 50 प्रतिशत कम दरों पर जगह उपलब्ध करानी होगी।
  • ऐसे उद्योगों को एसजीएसटी प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
  • -परियोजना की डीपीआर बनाने पर 50 प्रतिशत राशि की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी, जिसकी अधिकतम सीमा पांच लाख रुपये है।
  • -न्यूनतम 100 करोड़ या सीधे 250 लोगों को हर साल रोजगार देने वाले उद्योगों को एमएसएमई नीति के अंतर्गत राहत प्रदान की जाएगी।

ड्रोन यहां भी काम करेगा

कृषि, खनन, बुनियादी ढांचे, परिसर निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, यातायात प्रबंधन, कानून के प्रवर्तन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में। राज्य में ड्रोन निर्माण, अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण, मरम्मत और रखरखाव को प्रोत्साहन मिलेगा।

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