छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण के उपनिदेशक अनुराग शंखधर गिरफ्तार

छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण के उपनिदेशक अनुराग शंखधर गिरफ्तार

देहरादून। बहुचर्चित करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में एक माह की लुकाछुपी के बाद आखिरकार समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अनुराग शंखधर पुलिस के हत्थे चढ़ ही गए। गुरूवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) के सामने पेश हुए शंखधर से हरिद्वार में करीब सात घंटे पूछताछ की गई और करीब 100 से ज्यादा पूछे गए। संपत्ति के मामले में वे सबसे ज्यादा असहज नजर आए। पद के दुरुपयोग समेत भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे शंखधर ने अपने बचाव के लिए हर रास्ता तलाशा। गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से वकीलों की टीम बुला ली, लेकिन वे ऐसा कोई आदेश नहीं दिखा सके जिससे गिरफ्तारी रुक पाती। अब उन पर निलंबन की तलवार भी लटक चुकी है। इससे पहले गुरूवार को राज्य सरकार ने शंखधर से समाज कल्याण विभाग के तहत जनजाति कल्याण निदेशालय में आइटी सेल के नोडल अधिकारी का चार्ज भी हटा दिया और संयुक्त निदेशक योगेंद्र रावत को जिम्मा सौंपा। हालांकि, रावत ने चार्ज लेने से मना कर दिया। सरकार ने शंखधर से अनुपस्थित रहने का कारण भी पूछा है।

हरिद्वार और देहरादून जनपद में करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में जांच कर रही एसआइटी द्वारा समाज कल्याण विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों को एक माह पूर्व नोटिस जारी किए गए थे। जिसके बाद एक रिटायर्ड अधिकारी सहित हरिद्वार जिले के पांच सहायक समाज कल्याण अधिकारियों ने एसआइटी के सामने पेश होकर सवालों के जवाब दिए थे, मगर हरिद्वार व देहरादून में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर (अब उपनिदेशक) ने ऐसा नहीं किया। एसआइटी ने उनके दून व हरिद्वार स्थित आवासों पर नोटिस भी चस्पा किए। बचने के लिए शंखधर ने हाईकोर्ट में दस्तक दी पर राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उन्हें 10 दिन के भीतर एसआइटी के सामने पेश होने का आदेश था। बिना बताए करीब एक माह से अनुपस्थित चल रहे शंखधर ने बुधवार को पहले ज्वाइनिंग दी और गुरूवार को सुबह साढ़े 11 बजे रोशनाबाद, हरिद्वार में एसआइटी दफ्तर पहुंचे। यहां एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी समेत एएसपी आयुष अग्रवाल ने शंखधर से लंबी पूछताछ की। एसआइटी की अलग-अलग टीमें दिन भर अनुराग शंखधर से उनकी पोङ्क्षस्टग, संपत्ति और घोटाले में भूमिका को लेकर सवाल जवाब करती रही। एसआइटी सूत्रों की मानें तो शंखधर एसआइटी के सवालों का उचित जवाब नहीं दे पाए। जिसके बाद एसआइटी ने अनुराग शंखधर को गिरफ्तार कर लिया। एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि शंखधर के विरुद्ध पर्याप्त सुबूत मिलने पर ही उनकी गिरफ्तारी की गई है। शुक्रवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

सात घंटे की पूछताछ में दागे 100 से ज्यादा सवाल

करीब सात घंटे की पूछताछ में एसआइटी के सदस्यों ने करीब 100 से ज्यादा सवाल दागे।  अनुराग शंखधर को सबसे ज्यादा परेशानी उनकी संपत्ति के बारे में पूछने पर हुई। पहले तो वह इस सवाल को टालने की कोशिश करते रहे, एसआइटी के बार-बार सवाल दोहराने पर उन्होंने कुछ संपत्तियां गिनाई। हालांकि एसआइटी का मानना है कि इनके अलावा भी गुमनामी संपत्तियां अनुराग शंखधर ने खरीदी हुई हैं। कुछ सवालों के जवाब पर अनुराग शंखधर चुप्पी साध गए।

अनुराग शंखधर से पूछताछ के लिए एसआइटी ने पहले से तैयारी की हुई थी। एसआइटी कार्यालय पहुंचने से पहले ही सवालों की पूरी फेहरिस्त अनुराग शंखधर का इंतजार कर रही थी। अनुराग शंखधर एसआइटी से बचने के लिए जितना भाग रहे थे, एसआइटी उनके खिलाफ उतने सुबूत इकत्र करने में जुटी थी। गुरुवार को अनुराग शंखधर के एसआइटी कार्यालय पहुंचने पर अधिकारियों ने उनकी पहली पोस्‍टिंग से लेकर प्रमोशन और वर्तमान तैनाती के बारे में सवाल जवाब किए। एसआइटी ने अनुराग शंखधर से पूछा कि फर्जी छात्रों का सत्यापन किसके कहने पर कराया जाता था। खेल में कौन-कौन लोग शामिल रहे हैं। किसकी जेब में कितना हिस्सा पहुंचता था। इतना ही नहीं एसआइटी ने अनुराग शंखधर के परिवार के बारे में सवाल जवाब किए।

परिवार के बारे में पूछताछ में अनुराग शंखधर ने बचने का प्रयास किया। खासतौर पर संपत्ति को लेकर सवालों से वह घुमाने का प्रयास करने लगे। कुछ सवालों के जवाब में अनुराग शंखधर चुप हो गए और कई बार पूछने पर भी मुंह नहीं खोला। जिससे यह माना जा रहा है कि अनुराग शंखधर भी पूरी तैयारी कर एसआइटी कार्यालय पहुंचे थे। शंखधर को उनके कानूनी सलाहकारों ने इस बारे में सचेत किया था कि किन सवालों के जवाब देने हैं और किन सवालों से किनारा करना है।

कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारियां जल्द

मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन के भाई काजी नूरुद्दीन व रुड़की के पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन के दत्तक पुत्र चेरब जैन सहित छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद एसआइटी ने अभी तक किसी भी कॉलेज संचालक की गिरफ्तारी नहीं की थी। तब से एसआइटी अनुराग शंखधर की घेराबंदी में जुटी थी। अब अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी के बाद एसआइटी जल्द ही हरिद्वार के तीन से चार कॉलेज संचालकों को गिरफ्तार करेगी।

शखंधर से अनुपस्थिति पर निदेशालय ने मांगा जवाब

उप परियोजना निदेशक अनुराग शंखधर से निदेशालय ने अनुपस्थिति को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। निदेशालय ने शंखधर के उस पत्र पर भी सवाल उठाए जो 39 दिन की छुट्टी खत्म होने के बाद शंखधर ने अपने बचाव के लिए दो मई को भेजा था। इस पत्र में शंखधर ने 30 दिन और उपार्जित अवकाश की मांग की थी।

करोड़ों रुपये की दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे पूर्व समाज कल्याण अधिकारी और वर्तमान में जनजाति निदेशालय में उप निदेशक अनुराग शंखधर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बुधवार को 64 दिन बाद दफ्तर लौटे शंखधर ने उच्चाधिकारियों के सामने अपनी बात रखनी चाही। मगर, अधिकारियों ने इस मामले में लिखित में जवाब देने के निर्देश दिए। इसके लिए विभाग ने लिखित में स्पष्टीकरण का पत्र भी शंखधर को जारी कर दिया है। निदेशक बीआर टम्टा ने बताया कि शंखधर पूरे 25 दिन तक बिना अनुमति के छुट्टी पर रहे हैं। छुट्टी बढ़ाने की अर्जी को पहले ही अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में लिखित में जवाब मांगा गया है।

शासन में दबा दी कार्रवाई की फाइल

जनजाति निदेशालय ने अनुराग शंखधर के खिलाफ कार्रवाई को नौ मई को शासन को लिखित संस्तुति कर दी थी। इसमें कार्रवाई के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी मांगे गए। मगर, निदेशालय ने यह पत्र 15 मई तक नहीं देखा। शासन के सेक्शन अधिकारियों ने तक पत्र पर कोई जवाब नहीं दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन के अफसर भी शंखधर को बचाने में लगे रहे।

शंखधर से आइटी प्रभार भी छीना 

छात्रवृत्ति घोटाले मामले में घिरे अनुराग शंखधर से जिला समाज कल्याण अधिकारी का पदभार छीनने के बाद अब आइटी का प्रभार भी छीन लिया गया है। शासन की यह कार्रवाई शंखधर के लंबे समय से अनुपस्थित रहने की वजह से की गई है। आइटी का प्रभार संयुक्त निदेशक जनजाति कल्याण योगेंद्र रावत को संभालने को निर्देश दिए गए, लेकिन उन्होंने भी कार्यभार लेने में असमर्थता जता दी है। हालांकि, उन्होंने इस निर्णय के पीछे उनके पास पहले से ही अधिक काम होने का हवाला दिया है।

अप्रैल अंत में शासन द्वारा भेजे पत्र में संयुक्त निदेशक योगेंद्र रावत को अग्र्रिम आदेशों तक आइटी सेल के नोडल अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के लिए निर्देशित किया गया था। इसके जवाब में संयुक्त निदेशक ने भी शासन को पत्र भेजकर अवगत कराया कि वह आइटी का अतिरिक्त कार्यभार लेने के इच्छुक नहीं हैं। कहा कि उनके पास पहले से ही संयुक्त निदेशक, अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव, जाति सलाहकार परिषद के नोडल अधिकारी का कार्यभार है। कई कार्यभार होने की वजह से भी वह यह जिम्मेदारी लेने में असमर्थ हैं। अनुराग शंखधर से आइटी सेल का कार्यभार छीनने के बाद से यह महत्वपूर्ण प्रभार फिलहाल खाली है।

योगेंद्र रावत (संयुक्त निदेशक, जनजाति कल्याण निदेशालय) का कहना है कि शासन ने मुझे आइटी सेल के नोडल अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के लिए पत्र भेजा था, लेकिन पहले से ही कई कार्यभार होने के कारण मैंने असमर्थता जता दी है। फिलहाल आइटी सेल का कार्यभार किसी को नहीं सौंपा जा सका है।

बदांयू व बरेली में घर, यूक्रेन में पढ़ाई कर रही बेटी

छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी की गिरफ्त में आए अनुराग शंखधर की संपत्ति को लेकर भी गुरुवार को कई खुलासे हुए। पूछताछ के दौरान अंदर तक टटोलने पर पता चला कि शंखधर की जहां भी लंबे समय तैनाती रही, वहीं आलीशान घर खरीदे गए। देहरादून व हरिद्वार के अलावा बरेली व बदांयू में भी शंखधर का अपना घर है। उनकी बेटी यूक्रेन में रहकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है।

सरकारी नौकरी में दो नंबर की कमाई के लिहाज से हरिद्वार जनपद को मलाईदार जिला कहा जाता है। समाज कल्याण जैसे करोड़ों रुपये के बजट वाले महकमों में ट्रांसफर और पोङ्क्षस्टग के लिए अधिकारी अक्सर मंत्रियों से सेङ्क्षटग-गेङ्क्षटग का फार्मूला फिट करने में लगे रहते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण जिले में अनुराग शंखधर दो बार जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे हैं। छात्रवृत्ति घोटाला वर्ष 2012 से 2015 के बीच हुआ है। उस दौरान हरिद्वार जिले के एक दिग्गज नेता समाज कल्याण विभाग के मंत्री रहे हैं। अनुराग शंखधर पर उनका हाथ होने की बात विभाग में चपरासी से लेकर निदेशक तक को मालूम थी। उस समय विभाग में अनुराग शंखधर की तूती बोलती थी। अनुराग शंखधर का कनखल के विष्णु गार्डन कॉलोनी में आवास है।

राजधानी देहरादून में तैनाती के दौरान उन्होंने दून में भी आलीशान घर खरीदा। एसआइटी की पूछताछ में पता चला कि अनुराग शंखधर की बेटी यूक्रेन रहकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है। उसकी फीस का सालान खर्च एक करोड़ होने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि अनुराग शंखधर ने ऐसे सवालों के सीधे-सीधे जवाब नहीं दिए। मगर उनकी संपत्ति करोड़ों में होने की बात सामने आई है। अनुराग शंखधर से पूछताछ करने वाली टीम में एएसपी आयुष अग्रवाल, निरीक्षक कमल कुमार लुंठी, उप निरीक्षक राजेंद्र खोलिया, मदन मोहन भट्ट, प्रमोद कुमार और भानु पंवार शामिल रहे।

शासनादेश को किया गया दरकिनार

भारत सरकार की गाइड लाइन और शासनादेश में यह कहा गया है कि छात्रवृत्ति स्कूल कॉलेजों को भेजी जाएगी, लेकिन आगे यह भी कहा गया है कि दशमोत्तर छात्रवृत्ति छात्रों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। यह नियम इसलिए है कि कक्षा 10 के बाद छात्र अपना बैंक खाता खुद संचालित करने के लिए परिपक्व हो जाता है। लेकिन छात्रवृत्ति घोटाले में भारत सरकार की गाइडलाइन और शासनादेश को दरकिनार करते हुए दशमोत्तर छात्रवृत्ति भी कॉलेजों के बैंक खातों में डलवाई गई। इस सवाल के जवाब में गुरुवार को अनुराग शंखधर ने शासनादेश का हवाला दिया। मगर गाइडलाइन और शासनादेश पढ़वाने पर वह कोई जवाब नहीं दे सके।

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