टिहरी महोत्सव में कवियों ने जमाया रंग

टिहरी महोत्सव में कवियों ने जमाया रंग

 

देहरादून: टिहरी महोत्सव का रंगारंग आगाज शुक्रवार को राजकीय इंटर कॉलेज कोटी अठुरवाला में हुआ। तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारम्भ नदी घाटी विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट कीर्ति सिंह नेगी और अठुरवाला की पूर्व प्रधान मंजू चमोली ने किया। महोत्सव के पहले दिन कवियों ने रंग जमाया।

स्कूली बच्चों की सरस्वती वंदना के बाद गढ़वाली-हिंदी कवि सम्मलेन शुरू हुआ। जनकवि डॉ अतुल शर्मा ने “अब तो सड़कों पर आ जाओ ओ शब्दों के सौदागर, अब होश में आ जाओ ओ सपनों के सौदागर सुनकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। हिंदी गढ़वाली कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने सरकारी मुखिया पर व्यंग्य करते हुए पढ़ा कि “परचाधारि राजा तुम्हारी सदानि जय हो
जन्ता कि छै आस बड़ी पर सुपिन्या टुटिगे, सन्कौंणयां नि कैरा तुम भरमौणया नि कैरा तुम, अपणी गीचि खोला
हे राजा जी कुछ तुम त बोला”। बीना बेंजवाल ने “किसाण हाथों कु उदंकार च उरख्याल़ो। नाज तैं मुक्ति कु द्वार च उरख्याल़ो” सुनाई। वहीं, शांति प्रकाश जिज्ञासु ने जबरी जवानी रे, गप्फा पूरू नी ह्वे अब 52 व्यंजन छन,पर क्या कन्न
डॉक्टरन ना बोलयाली में माध्यम से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। कवि सम्मेलन में कवि विनोद मुसान और मणि भारती ने भी काव्यपाठ किया। इस अवसर पर नरेश उनियाल, सुमेर नेगी, रवि, सूरज, अभिषेक, आयुष, जय पुंडीर, मोहित, प्रशांत, सुबोध, ललित, एडवोकेट राजेंद्र सिंह असवाल, कांति सिंह असवाल, टीकाराम डंगवाल, कैप्टन शूरवीर सिंह रावत आदि मौजूद थे। कवि सम्मेलन का संचालन वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने किया।

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