उत्तराखंड के 65 फर्जी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त, अब बचे शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की होगी जांच
प्रदेश (उत्तराखंड) में कई शिक्षक अमान्य एवं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति पाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इन शिक्षकों के खिलाफ चलाए गए फर्जी डिग्री असली नौकरी अभियान के बाद सरकार ने एसआईटी को जांच के आदेश दिए। जांच के बाद अब तक 65 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। वहीं 7 अन्य शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं, लेकिन भर्ती में गड़बड़ी के आरोपी एवं इस तरह के शिक्षकों को नियुक्ति देने वाले एक भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल के मुताबिक प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों के जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच में फर्जी मिले हैं। उनमें 62 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है। 13 शिक्षक सेवा समाप्ति के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए हैं। जबकि 7 अन्य शिक्षकों की सेवा समाप्ति की कार्रवाई चल रही हैं।
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ऊधमसिंह नगर के एक शिक्षक को किया गया निलंबित
एसआईटी और विभाग को जांच में इन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा में तीन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की गई हैं। इसमें एक शिक्षक पौड़ी गढ़वाल और दो शिक्षक रुद्रप्रयाग जिले के हैं। ऊधमसिंह नगर के एक शिक्षक को निलंबित किया गया है। जिसके खिलाफ जांच चल रही है। हरिद्वार जिले में 122 शिक्षकों, 10 लिपिक एवं एक प्रधानाचार्य के खिलाफ फर्जीवाड़े की शिकायत पर जांच जारी है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा में 76 प्रतिशत शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हो चुकी है। 24 प्रतिशत शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की अभी जांच होनी है।