उत्तराखंड कहलाएगा खेल भूमि, खिलाड़ियों के आरक्षण के लिए लाएंगे एक्ट -रेखा आर्य

उत्तराखंड कहलाएगा खेल भूमि, खिलाड़ियों के आरक्षण के लिए लाएंगे एक्ट -रेखा आर्य

रेखा आर्य धामी मंत्रिमंडल में युवा कैबिनेट मंत्री हैं। उनके पास महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग, खेल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का जिम्मा है। अपने सभी विभागों की उन्हें अच्छी जानकारी है। यही वजह है कि विभाग की किसी योजना के बारे में पूछने पर वह बेबाकी से जवाब देती हैं।


वह कहती हैं कि उत्कृष्ट खिलाड़ियों को आउट आफ टर्न नियुक्ति के बाद अब खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में चार प्रतिशत आरक्षण के लिए एक्ट बनाने जा रहे हैं। प्रयास किया जा रहा है कि अगले साल 38वें राष्ट्रीय खेलों से पहले इसे लागू करेंगे। इससे हमारे प्रदेश में एक नए खेल युग की शुरुआत होगी और देवभूमि उत्तराखंड खेल भूमि भी कहलाएगा। 


महिला मंत्री होने के नाते वह महिलाओं की समस्याओं से भी भली भांति वाकिफ हैं। महिलाओं को खासकर एकल और निराश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके इसके लिए कुछ नई योजनाओं पर काम कर रही हैं।

सवाल: पहाड़ की बेघर महिलाओं के लिए छत उपलब्ध कराने की क्या योजना है, इस तरह की कितनी महिलाएं हैं, इस पर क्या कोई सर्वे हुआ है।
जवाब: देखिए महिला कल्याण के क्षेत्र में हमारी कोशिश होती है कि उनके हित में बेहतर योजना समर्पित कर पाएं, क्षेत्र भ्रमण में देखने में आया है कि महिलाएं आवास के लिए आवेदन करती हैं। विचार आया उनके मकान के लिए कुछ किया जाए। सरकार ने महिला कल्याण कोष का गठन किया है। इसमें उपकर के रूप में प्रति बोतल एक रुपया मिल रहा है। ऐसी महिलाएं जो आपदा प्रभावित हैं, एकल हैं। उनके लिए घर मुहैया कराए जाने की योजना है। 15 नवंबर तक इसके लिए प्रस्ताव मांगा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से इन्हें चिन्हित किया जा रहा है। उम्मीद है नए साल की शुरूआत में उन्हें यह योजना समर्पित की जाएगी।

सवाल: प्रदेश की एकल, विधवा, निराश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की योजना थी। कहा गया था कि इसके लिए 75 प्रतिशत अनुदान पर दो लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा। कब तक कितनी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा। वित्त विभाग तो योजना के पक्ष में नहीं है।
जवाब: हर वर्ग की महिला को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं। खासकर एकल वर्ग की महिलाएं चाहें वह अविवाहित, परित्यक्ता या तलाकशुदा हो। इनके लिए एकल महिला स्वरोजगार योजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है। वित्त विभाग से इस संबंध में राय ली गई थी, विभाग ने इस योजना को महिला कल्याण कोष से कराने का सुझाव दिया है। अब फिर से वित्त विभाग से राय लेकर इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा। उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस योजना के तहत स्वरोजगार के लिए एकल महिलाओं को 75 प्रतिशत अनुदान देना है, जिसकी आय 72000 रुपये सालाना है और आयु 22 से 45 वर्ष है, उन्हें चिह्नित किया जाएगा। इस डाटा को एकत्र करने का लक्ष्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया है। अभी समाज कल्याण विभाग के आंकड़े देखें तो एकल महिलाओं की संख्या चार लाख है, जिन्हें पेंशन दी जा रही है। योजना के तहत पहले चरण में विभाग की ओर से प्रतिवर्ष 500 महिलाओं को स्वरोजगार दिया जाएगा। इस संबंध में बैंक से बात हो गई है और आगामी वर्ष तक इस योजना को शुरू करने का लक्ष्य है। चाहे 80 प्रतिशत सब्सिडी देनी पड़े। अगर इस योजना को महिला कल्याण कोष के सहयोग से पूरा करना पड़े तो करेंगे।

सवाल: उत्तराखंड अगले साल 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने जा रहा है, इसे लेकर विभाग की किस तरह की तैयारी है? क्या गोवा राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नियुक्ति मिलेगी?
जवाब: राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए विभाग की पूरी तैयारी है। राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश सहित सात जगहों पर राष्ट्रीय खेल होंगे। इसके लिए मैदान तैयार हैं। सभी जगहों पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास को लेकर 90 से 95 फीसदी काम हो चुका हैं। कुछ जरूरी उपकरण उसी समय खरीदें जाएंगे। हमारी पूरी कोशिश है कि प्रदेश में होने वाले खेल गुजरात और गोवा में हुए खेलों के समकक्ष या उससे बेहतर होंगे। प्रदेश में आउट ऑफ टर्न नियुक्ति सभी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए है। छह सरकारी विभागों में खिलाड़ियों को नौकरी मिलेगी। जल्द ही विभाग नियुक्ति की विज्ञप्ति जारी करने जा रहा है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सभी खिलाड़ी उसमें योग्यता के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।

सवाल- सरकार ने कोविड में अनाथ हुए बच्चों के लिए सीएम वात्सल्य योजना शुरू की है। इन बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपये एवं अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन हर साल सड़क हादसों एवं आपदाओं में अनाथ बच्चों के लिए भी क्या कोई योजना है ?
जवाब- सड़क दुर्घटना व आपदाओं में जिनके अभिभावक नहीं रहते हैं। ऐसे बच्चों की मदद सामान्य रूप से हम स्पॉन्सरशिप के माध्यम से करते हैं। इसमें भी उन्हीं बच्चों को शामिल किया जाता है, जिनकी न्यूनतम आय दो या तीन हजार रुपये होती है। न्यूनतम आय के अनुसार ही बच्चों को चिह्नित किया जाता है। न्यूनतम आय का जो मानक है, वह कम है। ऐसे में विभाग ने विचार किया है कि ऐसे बच्चों की मदद कल्याण कोष से की जाएगी। पहाड़ी जिलों में भूस्खलन, भूकंप आदि आपदाओं से प्रभावित बच्चों को भविष्य में कवर करने की योजना है। मुख्यमंत्री का भी यह संकल्प है।

सवाल : प्रदेश में राशन कार्ड धारकों को दो किलो चीनी और एक किलो नमक 50 प्रतिशत छूट पर देने की योजना थी, जो अब तक शुरू नहीं हो पाई है, जबकि हिमाचल प्रदेश ने इसके लिए एक कॉरपोरेशन बना दिया है। क्या हमारे प्रदेश में ऐसा नहीं हो सकता?
जवाब : खाद्य विभाग लगातार गरीब परिवारों को किसी न किसी रूप में खाद्यान्न वितरित कर रहा है। राज्य सरकार का संकल्प है कि आने वाले समय में ऐसा नमक जिसमें आयोडीन हो और तेल, मसाले, चाय पत्ती आदि का एक पोषण किट उपलब्ध कराया जाए। विभाग से इसका प्रस्ताव मांगा गया है। आने वाले समय में निश्चित रूप से चाहे वह नमक हो या चीनी दोनों चीजें गरीब परिवारों को मुहैया कराई जाएंगी, यह मौलिक जरूरत भी है। जल्द से जल्द इसे शुरू किया जाएगा।

सवाल – पहाड़ से सबसे ज्यादा खिलाड़ी निकलते हैं लेकिन स्टेडियम और एकेडमी नहीं होने से कई प्रतिभाएं दबी रह जाती हैं। आर्थिक रूप से मजबूत बच्चे तो मैदानी भागों में अभ्यास के लिए आ जाते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे रह जाते हैं। क्या पहाड़ में स्टेडियम या एकेडमी खोलने की सरकार की कोई योजना है?
जवाब – भूमि की उपलब्धता होती है, तो खेल मैदान बनाए जाएंगे। स्टेडियम भी दुरुस्त किए जाएंगे। महिला मंगल और नवयुवक मंगल दल के माध्यम से जिम भी स्थापित किए गए हैं। स्कूल और महाविद्यालयों में जो खेल मैदान हैं, उन्हें विकसित करना मेरा सपना है। इसके लिए विभाग कोशिश भी कर रहा है। बच्चों को स्कूलिंग से ही खेल योजना के तहत संसाधन विकसित कर उपलब्ध कराना है। स्पोर्ट्स डेवलपमेंट फंड बनाया गया है। इसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर उन बच्चों को मिल रहा है। जो तैयारी के लिए दूसरी जगह जाते हैं। सरकार स्पोर्ट्स एकेडमी को भी प्रमोट कर रही है। एकेडमी खोलने पर 75-80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। विभाग योजना बना रहा है कि खिलाड़ियों को कोच या एकेडमी के लिए बाहर न जाना पड़े। उन्हें अपने आसपास ही सुविधा मिल सके।

सरकार खिलाड़ियों के साथ खड़ी है
खेल मंत्री ने कहा, राज्य के आठ से 14 और 14 से 23 साल के खिलाड़ियों को चाहे वह बालक हो या बालिका, उन्हें 1500 रुपये एवं 2000 रुपये महीना और 10 हजार रुपये सालाना दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी छात्रवृत्ति योजना के तहत आठ से 14 साल के 7800 खिलाड़ियों एवं सीएम खिलाड़ी उन्नयन योजना के तहत 14 से 23 वर्ष आयु वर्ग के 1408 खिलाड़ियों को लाभान्वित किया जा रहा है। बच्चों के अभिभावक भी बता रहे हैं कि कभी किताबों के लिए पैसा नहीं मिल पाता था, लेकिन अब खेल के लिए पैसा मिल रहा है, जो बड़ी बात है। वर्तमान में खेलों व लड़का- लड़की के प्रति दृष्टिकोण बदला है।

मुख्यमंत्री खेल विकास निधि से मिलेगा खेलों को बढ़ावा
मंत्री रेखा आर्य ने कहा, राज्य में खेलों को बढ़ावा देने एवं खिलाड़ियों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री खेल विकास निधि की स्थापना की गई है। जो सरकार का ऐतिहासिक कदम है। इसके माध्यम से राज्य एवं राज्य से बाहर खेलों में प्रतिभाग के लिए जाने वाले खिलाड़ियों को मदद मिलेगी।

पार्टी का जो भी फैसला होगा उसका पालन करूंगी
मंत्री ने अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर कहा, मैं भाजपा कार्यकर्ता हूं, कार्यकर्ता होने के नाते भाजपा प्रदेश, केंद्र एवं शीर्ष नेतृत्व ने जो भी जिम्मेदारी दी है उसका निर्वहन किया है। भविष्य में पार्टी एवं जनहित में जो भी फैसला होगा उसका पालन करुंगी।

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