शॉर्ट सर्किट की चिंगारी से विकासनगर के खेत में लगी आग

शॉर्ट सर्किट की चिंगारी से विकासनगर के खेत में लगी आग

विकासनगर में तेज हवा के चलते गेहूं के खेत के ऊपर से गुजर रही 11 केवी की लाइन में शार्ट सर्किट हो गया। जिसकी चिंगारी से गेहूं के खेत में आग भड़क गई। आग से करीब 10 बीघा गेहूं की फसल नष्ट हो गई। ग्रामीणों ने किसी तरह आग का काबू पाया। जिससे आसपास की फसल बच सकी। तापमान बढ़ने के साथ ही आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो गई है। मंगलवार को विकासनगर तहसील के लक्खनवाला गांव स्थित तिब्बती काॅलोनी के पास दोपहर करीब डेढ़ बजे गेहूं के खेत में आग भड़क गई। तेज हवा चलने से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आग की ऊंची लपटें देख ग्रामीण मदद के लिए दौड़ पड़े। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर के सहारे कुछ हिस्से में खड़ी गेहूं की फसल को हटाकर किसी तरह आग पर काबू पाया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझी। पूर्व प्रधान विकास पटेल ने बताया कि आग से गांव के मुन्ना लाल और मदन लाल की करीब 10 बीघा में गेहूं की फसल नष्ट हो गई। उन्होंने बताया कि समय रहते आग बुझा दी गई। आग न बुझने पर आसपास के कई बीघा में खड़ी गेहूं की फसल नष्ट हो जाती। उन्होंने तहसील प्रशासन से पीड़ित किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। एसडीएम विनोद कुमार ने कहा कि मौके पर लेखपाल को भेजकर नुकसान का आकलन कराया जाएगा।

ढाकी गांव में डेढ़ बीघा फसल बर्बाद
ड़क किनारे झाड़ियों में लगी आग खेत तक पहुंच गई। जिससे डेढ़ बीघा में गेहूं की फसल जल गई। ढाकी गांव में मस्जिद के पीछे सहसपुर गांव निवासी मेहंदी ने गेहूं की खेती की हुई थी। मंगलवार की दोपहर सड़क किनारे लगी झाड़ियों की आग खेतों तक पहुंची। आग से डेढ़ बीघा में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। ग्रामीणों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। अग्निशमन अधिकारी सेलाकुई ईशम सिंह ने बताया कि आग लगने की सूचना आई थी। मौके पर गाड़ी भेज दी गई थी, आधे रास्ते में कॉलर का फोन आया कि आग बुझ गई है, जिस पर दमकल वाहन को वापस बुला लिया गया।

हरिपुर में भूसे के ढेर में फिर भड़की आग
हरिपुर में भूसे के ढेर में फिर से आग भड़क गई। आग की लपटे उठती देख लोगों ने इसकी सूचना फायर स्टेशन सेलाकुई को दी। जिस पर दो दमकल वाहन मौके पर पहुंचे। करीब आधा घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आग बुझाई गई। प्रभारी अग्निशमन अधिकारी ईशम सिंह ने बताया कि लापरवाही के चलते फिर से भूसे के ढेर में आग लगी। सोमवार को भी आग लगी थी। जिसे बुझा लिया गया था। इस स्थान को भू-स्वामी ने पूरी तरह से साफ नहीं किया था। आग नहीं बुझाई जाती तो आसपास खड़ी गेहूं की फसल आग की चपेट में आ जाती।

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