फलों का जूस या सब्जियों का जूस, क्या है ज्यादा सेहतमंद?

फलों का जूस या सब्जियों का जूस, क्या है ज्यादा सेहतमंद?

जूस पीना फायदेमंद है या नहीं, जूस किस तरह से पिया जाए, सब्जियों के जूस और फलों के जूस में कौन ज्यादा बेहतर है? ऐसे कई सारे सवाल हैं जिनके जवाब लोग ढूंढते रहते हैं. आपने कई बार सुना होगा कि जूस से शरीर से विषैले पदार्थ निकालने में मदद मिलती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है, दिन में एक बार जूस पीने से आपके पेट की सफाई होती है और आपको भरपूर ऊर्जा मिलती है. लेकिन पूरी तरह से केवल जूस वाली डाइट पर निर्भर रहना सही नहीं है.

जूस के मामले में हमारे पास तमाम तरह के विकल्प मौजूद होते हैं. संतरे के एक गिलास जूस में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है, हरी सब्जियों के जूस शरीर से विषैले पदार्थ निकालता है. सेब, चुकंदर और गाजर के लोकप्रिय मिक्स जूस से वजन घटाने में मदद मिलती है. हालांकि, अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि फलों का जूस ज्यादा फायदेमंद है या सब्जियों का जूस. इसका जवाब है- आपको अपने जूस के सेवन में 90/10 के नियम का पालन करना चाहिए. यानी आपके जूस में 90 फीसदी सब्जी हो और 10 फीसदी फल हो. इसके पीछे वजह ये है कि फलों में फ्रक्टोज के रूप में ज्यादा नैचुरल शुगर होती है. चाहे जूस हो या सूखा फल, दोनों में ही शुगर ज्यादा होता है क्योंकि ये कंसन्ट्रेट होते हैं.

फलों के जूस में सब्जियों के जूस के मुकाबले शुगर की मात्रा ज्यादा होती है. जब आप फल का जूस निकालते हैं तो आप उसका फाइबर वाला हिस्सा निकाल रहे होते हैं. फाइबर शुगर रिलीज को धीमा करता है लेकिन फाइबर निकल जाने से शुगर रिलीज ज्यादा होता है और इन्सुलिन का स्तर बढ़ जाता है. भले ही यह शुगर नैचुरल होती है लेकिन जूस में नैचुरल शुगर की भी ज्यादा मात्रा भी इन्सुलिन के स्तर पर असर डाल सकती है. इससे भूख बढ़ जाती है और वजन बढ़ने जैसी चीजें होने लगती हैं. इसीलिए अपने जूस में केवल 10 फीसदी ही मीठे फलों और सब्जियों को आपको शामिल करना चाहिए. इस नियम के अपवाद सिर्फ नींबू और खट्टे फल हैं जिनमें नैचुरल शुगर की मात्रा कम होती है और खून में ब्लड इन्सुलिन की मात्रा नहीं बढ़ती है.

कई हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि फलों के जूस से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है इसलिए डायबिटीज के मरीजों को जूस बहुत ही मॉडरेशन में पीना चाहिए. न्यूट्रिशनिस्ट की ये भी सलाह है कि ब्रेकफास्ट में जूस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और कंसन्ट्रेटेड शुगर होती है जिसमें प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है. इससे आपको भूख जल्दी लग सकती है. सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप स्मूदी या मिल्कशेक, नट्स, ओट्स और कुछ ताजे फलों का सेवन एक साथ करें.

जहां तक सब्जियों के जूस की बात है, सब्जियों के जूस से आपको कई तरह के फायदे हो सकते हैं. आप एक बार में खाने में कई सब्जियों को नहीं खा सकते हैं लेकिन जूस से आपको यह विकल्प मिल जाता है. कई बार लोगों को कुछ सब्जियां खाना बिल्कुल पसंद नहीं होता है. ऐसे में जूस एक अच्छा विकल्प साबित होता है. गाजर का जूस, चुकंदर का जूस और पालक का जूस बेहतरीन विकल्प हैं. हालांकि सब्जियों के जूस के मामले में भी कम फाइबर की समस्या बनी रहती है.

इसके अलावा सब्जियां फलों की तुलना में ज्यादा क्षारीय प्रकृति की होती हैं और इससे पेट के भीतर ph बैलेंस बना रहता है यानी अम्लीय तत्वों और क्षारीय तत्वों की मात्रा में संतुलन बना रहता है. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हमारी अधिकतर डाइट में एसिडिक फूड ज्यादा होते हैं जो शरीर के लिए ज्यादा नुकसानदायक है. ऐसे में सब्जियों के जूस से मदद मिल सकती है.

नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, सब्जियों और फलों के जूस में बराबर विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं. लेकिन अगर शुगर की बात करें तो सब्जियों का जूस ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि सब्जियों के जूस में या तो कम शुगर होता है या होता ही नहीं है जबकि फलों में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. हालांकि, इसके बावजूद, फलों और सब्जियों के जूस को संतुलित मात्रा में लिया जा सकता है. बच्चों के लिए फलों का जूस लेना अच्छा है क्योंकि इससे एनर्जी का लेवल बढ़ता है.

कई बार आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि किसी फल या सब्जी को ऐसे ही खाया जाए या उसका जूस निकालकर पिया जाए. इसका जवाब है कि सब्जियां खाना जूस पीने से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है लेकिन अगर वक्त की कमी हो तो खुद को ऐक्टिव और हाइड्रेटेड बनाए रखने के लिए एक गिलास जूस पीना भी बुरा विकल्प नहीं है.

अपनी डाइट में अलग-अलग तरह की सब्जियों को शामिल करें. जूस की सब्जियों में बदलाव करते रहें या रोटेट करते रहें. हो सके तो सब्जियों का जूस ज्यादा पिएं और फलों का जूस कम बनाएं.

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