तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू

तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू

बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) द्वारा विश्व में सबसे ऊंचाई तेरह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित आस्था का केन्द्र प्रसिद्ध शिव मंदिर तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य विधि- विधान पूजा- अर्चना के पश्चात आज शुरू हो गया है।
छतरी का दानीदाता के सहयोग से देवदार की लकड़ी से पहले की तरह नव निर्माण किया जा रहा है जीर्णोद्धार कार्य उचित ढ़ग से हो सके इसके लिए मंदिर के कलश को भी उतारा गया।उल्लेखनीय है तेरह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पंच केदार में शुमार तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के बाहु तथा ह्रदय भाग की पूजा होती है और यहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते है तुंगनाथ घाटी स्थित चोपता तथा दुग्गलबिट्टा को उत्तराखंड का स्वीटजरलैंड भी कहा जाता है इन्हीं पड़ावों से होकर तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ जी के दर्शन को पहुंचते हैं।

बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य पर भी विचार हो रहा है इस संबंध में उनके द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ( एएसआई) तथा भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ( जीएसआई) को पत्र लिखा गया ताकि विशेषज्ञों की राय के अनुसार मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य आगे बढ़ सके।

उल्लेखनीय है कि स्थानीय जनता कई वर्षो से तुंगनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार की मांग कर रही थी लेकिन इस संबंध में कार्य नहीं हो पाया था। बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष का पदभार संभालते ही अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इस बावत पहल की तथा दानीदाताओं से संपर्क किया परिणामस्वरूप मंदिर के शीर्ष छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया। छतरी निर्माण तथा नक्काशीकर रहे कारीगरों द्वारा पूर्व छतरी की तरह देवदार की लकड़ी से नयी छतरी का निर्माण किया जा रहा है इस तरह अब छतरी निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। नयी छतरी को अतिशीघ्र मंदिर के शीर्ष पर विराजमान किया जाना है इसके लिए मंदिर के शीर्ष कलश को भी मुहुर्त निकाल कर आज रविवार को उतारा गया है। इसी तरह विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी की मंदिर की छतरी का नव निर्माण प्रस्तावित है।

आज रविवार को मुहुर्तानुसार प्रात: पूजा- अर्चना तथा वैदिक मंत्रोंचार के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कलश को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई सबसे पहले बाबा तुंगनाथ जी की पूजा हुई उसके बाद भूतनाथ ( भैरवनाथ) जी की पूजा-अर्चना हुई तत्पश्चात भूतनाथ जी के पश्वा अवतरित हुए तथा उन्होंने कलश उतारने की आज्ञा दी। इसी तरह मां भगवती कालिंका के पश्वा अवतरित हुए उन्होंने भी कलश उताने की आज्ञा प्रदान की इसके बाद मंदिर समिति, मंगोली गांव के दस्तूर धारियों, तथा मक्कूमठ के मैठाणी पुजारियों की उपस्थिति में दस्तूर धारी मंदिर के शिखर पर पहुंचे तथा कलश को मंदिर परिसर में लाये जहां पूजा-अर्चना दर्शन के पश्चात कलश को तुंगनाथ स्थित मंदिर गर्भगृह में रखा गया जहां प्रतिदिन कलश की पूजा की जायेगी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भूतनाथ जी के पश्वा ( पश्वा अर्थात जिन पर देव अवतरित होते है) ने तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने के बाद यात्रियों का मंदिर क्षेत्र में प्रवेश कराने पर नाराजी दिखायी।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया आज कलश को उतारने के साथ ही इसके साथ ही छतरी के जीर्णोद्धार का शुभारंभ हो गया।

इस अवसर पर छतरी का जीर्णोद्धार करनेवाले दानी दाता संजीव सिंघल के प्रतिनिधि सहित मंदिर समिति के सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवाण, अवर अभियंता विपिन कुमार,भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, प्रबंधक बलबीर नेगी तथा दस्तूरधारी अविरत्न धर्म्वाण,रोहन धर्म्वाण, अनंत धर्म्वाण, हरीश धर्म्वाण मठापति रामप्रसाद मैठाणी, रवीन्द्र मैठाणी,भरत मैठाणी, गीताराम मैठाणी,प्रकाश मैठाणी, मुकेश मैठाणी,सतीश मैठाणी,दलीप नेगी, चंद्रमोहन बजवाल आदि मौजूद रहे।

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