सरकार से पूछा, मंत्रियों-अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई? – हाईकोर्ट

सरकार से पूछा, मंत्रियों-अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई? – हाईकोर्ट

नैनीताल हाईकोर्ट ने माना है कि टैक्सी बिल में प्रथम दृष्टया घोटाला दिख रहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इस घोटाले में शामिल लोगों चाहे वे मंत्री ही क्यों न हों उन पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर इस बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा है कि अगर सरकार इस पर शपथपत्र दाखिल नहीं करती है तो गृह सचिव सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। कोर्ट ने माना कि जब यह मामला सामने आया था तो उस वक्त टैक्सी बिलों को मुख्यमंत्री दफ्तर से सत्यापित किया गया था। तत्कालीन अधिकारियों ने इस पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की कि ये फर्जी बिल हैं और पैंसा भी कोषागार से निकाल लिया गया। ऐसे में उक्त अधिकारियों की संलिप्तता भी इसमें दिख रही है। कोर्ट ने कहा कि आज तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। एकलपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए इसमें शामिल मंत्रियों और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है, इसकी रिपोर्ट मांगी है।

यह था मामला

मामले के अनुसार ज्योति काला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य में टैक्सी बिल घोटाला 2009 और 2013 में सामने आया था। इन वर्षों में मुख्यमंत्रियों की फ्लीट में विभाग ने बाहर से गाडि़यां मंगाई और 1 करोड़ 38 लाख के बिल बनाकर उनका पैसा निकाल लिया गया। 2015 में इस मामले में तत्कालीन सीएमओ की ओर से देहरादून के डालनवाला कोतवाली देहरादून व ऋषिकेश में एफआईआर दर्ज की गई और काला टूर ऑपरेटर व उनियाल टूर ऑपरेटर को आरोपी बनाया गया।

आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने फर्जी बिल बनाकर पैसा लिया। आरोप था कि करीब 22 लाख काला टूर एंड़ ट्रेवलर्स ने लिया व पांच लाख का भुगतान उनियाल टूर को किया गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए दोनों हाईकोर्ट आए तो इसी दौरान पुलिस ने इनके खिलाफ चार्जशीट फाइल कर दी। चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की और आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट में इन दोनों टूर ऑपरेटरों ने कहा कि जो भी बिल उन्होंने निकाले वो सीएम कार्यालय से सत्यापित थे। इसलिए उन्होंने कोई फर्जी बिल पेश नहीं किए थे।

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