दवाइयों और वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए नहीं जाना पड़ेगा दूसरे राज्य, स्वास्थ्य विभाग की लैब में होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

दवाइयों और वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए नहीं जाना पड़ेगा दूसरे राज्य, स्वास्थ्य विभाग की लैब में होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

देहरादून। दवाइयों और वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए उत्तराखंड की दूसरे राज्यों पर निर्भरता जल्द ही खत्म हो जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की लैब को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बनाया जाएगा जाएगी। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अब इसपर काम शुरू हो गया है। अभी दवाओं की जांच के लिए, नमूने चंडीगढ, हिमाचल जैसे अन्य राज्यों की लैब को भेजे जाते हैं। जिनकी जांच रिपोर्ट मिलने में महीनों लगते है। नकली दवाईयों के खिलाफ प्रभावी और त्वरित कार्रवाई लिए यह लैब बड़ी जरूरत है और फार्मा सेक्टर की  डिमांड भी थी। बता दें, उत्तराखंड में फार्मा सेक्टर की कई कंपनियां बड़े पैमाने पर दवा उत्पादन कर रहीं हैं।

दरअसल, रुद्रपुर में जो लैब है, उसकी हालत बेहद खराब है। भवन जीर्णशीर्ण हो चुका है, लैब में नाम मात्र के ही टेस्ट हो सकते हैं। राज्य में सप्लाई होने वाली दवाइयों और वैक्सीन के क्वालिटी टेस्ट के लिए कोई अन्य व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में दवाओं और अन्य जांचों के लिए दूसरे राज्यों का मुंह ताकना पड़ता है। पर अब दून में लैब स्थापित की जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फरवरी के पहले सप्ताह में लैब का शिलान्यास कर सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य निदेशालय परिसर के समीप ही लैब बनाने के लिए जगह का चयन किया गया है। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. टीसी पंत का कहना है कि अब दून में लैब की सुविधा मिलेगी। लैब के लिए निदेशालय के समीप ही जगह का चयनित किया गया है।

ये होंगे फायदे 

– जल्द मिल सकेगी दवाइयों-वैक्सीन की रिपोर्ट

– क्वालिटी कंट्रोल में मदद मिलेगी

-नकली दवाइयों की धरपकड़ में तेजी आएगी

– निगरानी और सतर्कता हो जाएगी आसान

फार्मा इंडस्ट्री को फायदा 

राज्य के सेलाकुई, भगवानपुर हरिद्वार और पंतनगर में फार्मा इंडस्ट्री से जुड़ीं विभिन्न इकाइयां हैं।इस लैब से राज्य के फार्मा सेक्टर को बड़ा लाभ होगा। दरअसल, राज्य और राज्य के बाहर दवाइयों की सप्लाई के लिए, उनकी गुणवत्ता से जुड़ी तमाम आवश्यक जांचों से जुड़े नमूने बाहर भेजने पड़ते हैं। पर लैब बनने से यह औपचारिकताएं यहीं पूरी हो सकेंगी।

कैंसर रोगी को एम्स देगा पेलिएटिव केयर सुविधा 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में भारतीय पेलिएटिव केयर सोसायटी द्वारा संचालित द्वितीय सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो गया। इसमें उत्तराखंड के सभी जिला अस्पतालों के 27 डॉक्टर व स्टाफ नर्स प्रतिभाग कर रहे हैं।

एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कहा कि कैंसर एवं अन्य लाइलाज बीमारियों के लिए पेलिएटिव केयर एक वरदान है। जब कैंसर और अन्य लाइलाज बीमारियों के मरीजों पर दवाओं का बहुत अधिक प्रभाव नहीं रह जाता, तब उन्हें पेलिएटिव केयर की नितांत आवश्यकता होती है।

पेलिएटिव केयर का मुख्य उद्देश्य ऐसे मरीजों की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रखना है। इसी के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पेलिएटिव केयर को बढ़ावा देने के लिए नेशनल हेल्थ प्रोग्राम संचालित किया जा रहा है। निदेशक एम्स ने बताया कि पेलिएटिव केयर की सुविधा प्रदान करने के लिए संस्थान उत्तराखंड में नोडल सेंटर के तौर पर कार्य करेगा और राज्य के हर हिस्से से आने वाले कैंसर एवं अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को पेलिएटिव केयर की सुविधा प्रदान कराएगा।

संस्थान में मंगलवार व शुक्रवार को पेलिएटिव केयर की ओपीडी संचालित की जा रही है। एम्स दिल्ली की प्रो. सुषमा भटनागर ने बतौर नेशनल फेकल्टी पहले दिन चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि पेन व पेलिएटिव केयर में मार्फिन दवा संबंधित मरीज के लिए रामबाण का काम करती है। उन्होंने इस दवा की खरीद, रखरखाव व वितरण की विस्तृत जानकारी दी। संस्थान की डीन व कोर्स की समन्वयक प्रो. सुरेखा किशोर ने पेलिएटिव केयर सर्टिफिकेट कोर्स के महत्व पर चर्चा की।

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