उत्तराखंड में रेल हादसे में घायल हाथी पर रेलवे ने डाली गलती, जांच की मांग उठी

उत्तराखंड में रेल हादसे में घायल हाथी पर रेलवे ने डाली गलती, जांच की मांग उठी

गुलरभोज–लालकुआं – गुलरभोज–लालकुआं रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आया घायल हाथी अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। मथुरा से आई विशेषज्ञ टीम उसके गंभीर घावों का इलाज करने में लगी हुई है। इस बीच रेलवे अधिकारियों द्वारा हादसे की जिम्मेदारी घायल हाथी पर ही डालने से विवाद खड़ा हो गया है।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब हाथी अचानक ट्रैक पर आ गया, जिससे चालक को ट्रेन रोकने का मौका नहीं मिला। उन्होंने विभागीय जांच की जरूरत से इनकार करते हुए कहा कि हादसे के लिए पूरी तरह हाथी की अचानक मौजूदगी जिम्मेदार है।

हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने रेलवे के इस रुख को असंवेदनशील और गैरजिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि वन क्षेत्रों में सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के कारण यह हादसा हुआ। कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए वन क्षेत्रों के पास रेलवे लाइनों पर वन्यजीव सुरक्षा के ठोस उपाय करने की अपील की है।

जानकारी के अनुसार, जंगल से गुजरने वाली इस रेल लाइन पर ट्रेन की निर्धारित गति सीमा 30 किमी प्रति घंटा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर ट्रेन निर्धारित गति से चल रही थी, तो चालक ने समय रहते ब्रेक क्यों नहीं लगाए। स्थानीय लोगों ने बताया कि शनिवार को पीपल पडाव रेंज के पास तिलपुर गांव के निकट एक और ट्रेन तेज रफ्तार से गुज़री थी, जिससे सुरक्षा नियमों के पालन पर और सवाल खड़े हो गए हैं।

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वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संवेदनशील ट्रैक क्षेत्रों को बैरिकेडिंग से घेरा जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। वहीं रेलवे अधिकारियों का दावा है कि वन मार्गों पर पहले से चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और वन विभाग के साथ नियमित समन्वय भी किया जाता है ताकि ऐसे हादसे टाले जा सकें।

Saurabh Negi

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